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३८७. चम्पारन-समितिकी बैठककी कार्यवाहीका सारांश

अगस्त १४, १९१७

अध्यक्षने बतलाया कि श्री गांधीने पत्र[१] द्वारा सूचित किया है कि २५ प्रतिशत कटौतीके आधारपर किये जानेवाले किसी भी समझौतेको स्वीकार करना उनके लिए सम्भव नहीं होगा। श्री गांधीने लिखा है कि यदि समिति सर्व-सम्मतिसे सिफारिश करे तो वे ४० प्रतिशत कटौतीपर तैयार हो जायेंगे, परन्तु यदि यह नहीं होगा तो वे अपनी असहमति-सूचक टिप्पणीमें ५५ प्रतिशत कटौतीकी सिफारिश करेंगे। अध्यक्षने यह प्रस्ताव बैठकके सामने रखा। श्री रोडने कहा कि वे बागान-मालिकोंसे २५ प्रतिशतसे अधिक छोड़नेको सिफारिश नहीं करेंगे और उन लोगोंके साथ उनका फिर बात करनेके लिए जाना बेमतलब होगा। उन्होंने खासकर श्री हिलके मामलेका हवाला दिया और कहा कि यदि २५ प्रतिशत कटौती कर दी जाये तो उनको लगान से जो आय होगी वह मूल्य वृद्धिके आधारपर की जानेवाली साधारण वृद्धिसे होनेवाली आयसे थोड़ी ही अधिक होगी। श्री गांधीने कहा कि वे विभिन्न प्रतिष्ठानोंमें विभिन्न दरोंपर कटौती करनेके सिद्धान्तको मानने के लिए सदा ही तैयार रहेंगे। परन्तु अध्यक्षने कहा कि अब स्पष्ट है कि समझौतेके आधारपर इसको निट पानेका प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अब शायद श्री गांधी ५५ प्रतिशत कटौतीको सिफारिश करते हुए अपनी असहमति सूचक टिप्पणी लिखेंगे। वे और अधिक रियायतोंके लिए उनसे आग्रह तो नहीं करेंगे, लेकिन एक बातपर उनको विचार करना चाहिए। दोनों ही पक्ष चाहते हैं कि इसके निपटारेके लिए एक विशेष न्यायाधिकरण न बनाया जाये और न न्यायालयों द्वारा इन मामलोंका निर्णय कराया जाये। यदि इसी रूपमें सिफारिशोंको रखकर सरकारके पास प्रतिवेदन भेजा जायेगा, तो उसे मध्यस्थ बनकर २५ प्रतिशत कटौती और ५५ प्रतिशत कटौतीके बीचका कोई निर्णय करना पड़ेगा, परन्तु बड़ी आशंका इस बातकी है कि सरकार शायद इतने अधिक अन्तरके बारेमें मध्यस्थता करनेको तैयार न हो। यदि अन्तर केवल २५ और ४० प्रतिशतका होता, तो शायद वह मध्यस्थता स्वीकार कर लेती। उन्होंने श्री गांधीसे पूछा कि क्या इस दृष्टि से यह सम्भव नहीं कि वह अपनी असहमति-टिप्पणीमें ४० प्रतिशतकी ही बात कहें? श्री गांधीने इसपर कहा कि उनकी समझमें नहीं आता कि अन्तर बहुत अधिक होनेके कारण सरकार मध्यस्थता करनेसे इनकार क्यों करेगी। तब अध्यक्षने एक दूसरा सुझाव रखा कि यदि वे मध्यस्थताके बारेमें सरकार के साथ इस आधारपर बात करें कि श्री गांधीने अपनी असहमति-टिप्पणीमें सरकारका निर्णय मान लेनकी रजामन्दी दे

  1. १. देखिए पिछला शीर्षक।