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३८६. पत्र: चम्पारन जाँच-समितिके अध्यक्षको

बेतिया
अगस्त १३, १९१७

प्रिय श्री स्लाई,

मैंने इस प्रश्नपर सोते-जागते बराबर विचार किया है, ईश्वरसे प्रकाशके लिए प्रार्थना की है और [बाइबिलके] १ कोरन्थियन १३ का पाठ किया है; यह तो मैं समितिकी बैठकमें आनेसे पहले हमेशा करता हूँ। मैंने इस प्रश्नपर अपने मित्रोंके साथ भी चर्चा की है। उपजके अनुपातसे की जानेवाली वृद्धिका औचित्य श्री रेनीने बड़े जोशके साथ सिद्ध करनेका प्रयास किया था, और मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बाबू ब्रजकिशोर उनके तर्कोंके सबसे प्रबल समर्थक हैं। अन्य सब लोगोंने उनका [बाबू ब्रजकिशोरका] विरोध किया। किन्तु जब वे अपनी बातपर दृढ़ रहे, और कहा कि लगान कम होनेके सवालपर वे श्री स्वीनीके निष्कर्षोंसे पूर्णतया सहमत हैं तब मुझे अचम्भा हुआ। तथापि उनकी दलील बिलकुल लचर है। मेरे सभी साथियोंकी राय है कि यदि मैं बागान-मालिकोंका प्रस्ताव स्वीकार करता हूँ तो यह रैयतके हितोंका बलिदान करना होगा। उन्होंने एकमत होकर इस बातकी सराहना की कि बागान-मालिकोंने हर दृष्टिसे बहुत शक्तिशाली होनेपर भी शरहबेशीमें कमी करना स्वीकार कर लिया है। मेरे अधिकांश साथी इस मतके हैं कि मुझे समितिके साथ किसी भी कीमतपर समझौता कर लेना चाहिए। मुझे लगा कि इन सुखद घटनाओंका उल्लेख मुझे इस पत्रमें कर देना चाहिए। ये भविष्यके लिए शुभ लक्षण हैं। मेरे मित्र, जो मेरी रायमें बिहारकी संस्कृतिका प्रतिनिधित्व करते हैं, हठधर्मी नहीं हैं जैसा कि बागान-मालिक मित्रोंने अक्सर ही कहा है। हम लोगोंमें मुझसे बढ़कर हठधर्मी कोई नहीं है।

अब मैं अपना प्रस्ताव रखता हूँ, जो बिल्कुल अन्तिम है। मेरा पिछला मत राजा साहबके[१] प्रस्तावको[२] स्वीकार करनेका था। उनके प्रस्तावमें बागान मालिकोंके २५ प्रतिशतकी तुलनामें ५५ प्रतिशत कमी करनेका सुझाव था। यदि मुझे असहमति-सूचक टिप्पणी लिखनी पड़े तो मैं साफ मनसे उनके प्रस्तावके पक्षका समर्थन करते हुए लिखूँगा। समितिके हम सारे सदस्योंमें पूर्ण मतैक्य हो सके, इसके लिए मैं ४० प्रतिशत, यानी बागान-मालिकोंके प्रस्तावसे १५ प्रतिशत अधिककी कमी स्वीकार करनेको तैयार हूँ। मेरे लिए यह, अपनी भाषामें कहूँ तो लगभग दण्डस्वरूप वृद्धि-

 
  1. १. राजा कीर्त्यानन्द सिंह; बिहार तथा उड़ीसा विधान परिषद् के सदस्य, और चम्पारन भूमि-जाँच समितिके सदस्य।
  2. २. समितिके सदस्यों में वितरित टिप्पणी, सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स, सं० १६१। इसे यहाँ नहीं दिया गया है।