पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/५३८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५०२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उनके प्रस्तावपर विचार करनेको तैयार रहूँगा। अध्यक्षने कहा कि अभीतक जो बहस हुई है उसमें समितिने मूल लगानमें एक अतिरिक्त राशिकी वृद्धि करनेकी अपेक्षा जो शरहबेशी ली जाती है उसमें एक आनुपातिक कमी करनेके आधारपर समझौतेका होना ज्यादा ठीक माना है; और उसका कारण यह है कि दूसरा तरीका विभिन्न कम्पनियोंकी विभिन्न परिस्थितियोंको देखते हुए ज्यादा न्याय-संगत है। ... श्री रोडने बताया कि मैंने यहाँ उपस्थित तीनों बागान-मालिकोंसे आज सुबह बड़ी देर तक बातचीत की। पहले तो वे दोनों पक्षोंको सहमति और सैटिलमेंट अदालतकी स्वीकृतिसे लगानमें जो वृद्धि की गई थी, उसमें कोई कमी करनेको तैयार नहीं थे। उनका [बागान-मालिकोंका] कहना था कि उनके पास जो मूल्यवान जायदाद है, समिति उनसे उस जायदादका एक अंश छोड़ देनेकी बात कह रही है। मैंने उन्हें समझाया कि भविष्यम होनेवाली मुकदमेबाजी और झंझटोंको टालनेके लिए अगर उन्हें थोड़ा-बहुत त्या करना पड़े तो वह भी वांछनीय होगा। अन्तमें वे अनिच्छापूर्वक लगानमें थोड़ी छूट देनेके लिए तैयार हो गये हैं। तथापि श्री हिलने मुझसे कह दिया है कि उनके यहाँ लगानमें बहुत कम वृद्धि की गई है, इसलिए और जगहोंके मुकाबले उनके यहाँ उसमें छूट भी बहुत थोड़ी ही दी जायेगी। श्री गांधीने कहा कि मैं यह सिद्धान्त स्वीकार करनेको तैयार हूँ कि अलग-अलग कम्पनियाँ लगानमें विभिन्न दरोंपर कमी करें, लेकिन कठिनाई तो यह है कि समितिके सामने आँकड़े नहीं हैं। मुझे इसमें सन्देह है कि बिना और जाँच पड़ताल किये, महज बन्दोबस्तके कागजातोंसे ऐसे पर्याप्त आँकड़े प्राप्त हो सकेंगे जिनके आधारपर लगानमें दी जानेवाली छूटोंमें भिन्न स्थानोंपर होनेवाले अन्तरका औचित्य तय किया जा सके। अध्यक्षने कहा कि आपसी रजासे समझौता करनेसे बागान-मालिकोंको ही नहीं, रैयतको भी बहुत फायदे होंगे।... यदि समिति लगानमें एक निश्चित प्रतिशत कमी कर सके तो यह समझौतेकी दिशामें महत्त्वपूर्ण कदम होगा, और इसलिए मेरा याल है कि हमें एक निश्चित राशि करनेकी कोशिश करनी चाहिए। पारस्परिक सहमतिसे कोई समझौता न हो सकनपर जो दूसरा तरीका बच रहेगा उसके फलस्वरूप पारस्परिक कटुताकी भावना और तीव्र होगी, और सम्भावना यही होगी कि स्पेशल अदालतके निर्णयोंको स्वस्थ मनसे स्वीकार न किया जाये। मैं बागान-मालिकोंसे अनुरोध करूंगा कि वे शरहबेशीमें की गई वृद्धिको ज्यादासे-ज्यादा किस हदतक कम करनेको तैयार हैं, यह निश्चित करके उसकी राशि बता दें। सर्वश्री इर्विन और नॉर्मनने कहा कि वे ज्यादासे-ज्यादा २५ प्रतिशत और श्री हिलने कहा कि वे २० प्रतिशतकी कमी करनेको तैयार हैं। श्री गांधीने कहा कि मैं तुरन्त इस वक्त यह कहनेको स्थितिमें नहीं हूँ कि कितनी छूटको में उचित मानूँगा, और न मैं यही समझता हूँ कि समिति इसी समय एक निश्चित प्रतिशत निर्धारित करनेकी स्थितिम मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या बागान-मालिक छूटका प्रतिशत क्या हो इसका निर्णय समितिके ऊपर छोड़नेके लिए तैयार है? बागान-मालिकोंने अपनी स्थिति है।