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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि अगर तावानकी रकम लगानमें बढ़ी हुई अतिरिक्त रकमकी पन्द्रह गुनी न हो, तो कि अगर तावानकी रकम लगानमें बढ़ी हुई अतिरिक्त रकमकी पन्द्रह गुनी न हो, तो १५ वर्षको अवधिको उचित नहीं माना जा सकता। उन्होंने राय दी कि तावानके बराबरकी रकम बेतिया राजको बढ़े हुए लगानमें से छोड़ देनी चाहिए। श्री रोडने कहा कि इस स्थितिके लिए राज भी कुछ हद तक जिम्मेदार है। थोड़ी बहसके बाद यह सिफारिश करनेका निर्णय किया गया कि जिन मामलोंमें तावान लिया जा चुका है उनमें भी राजको बढ़ी हुई दरपर लगान वसूल कर लेनेके दावेसे वंचित न किया जाये, किन्तु राज सात वर्ष तक लगानकी अतिरिक्त रकम छोड़ देगा।...

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श्री गांधीने निम्नलिखित सुझाव पेश किये:

(१) कि समिति यह सिफारिश करे कि सरकार समितिकी रिपोर्टपर जो आदेश जारी करे उनको नकलें रैयतको प्रान्तकी भाषाओंमें दी जायें। यह स्वीकार कर लिया गया।
(२) मिट्टीके तेलपर एकाधिकार समाप्त किया जाना चाहिए। इसे भी स्वीकार कर लिया गया।
(३) उन्होंने प्रस्ताव किया कि रैयतको बताया जाना चाहिए कि दस्तूरी गैरकानूनी है। रिपोर्टमें यह उल्लेख करना स्वीकार कर लिया गया कि समितिको जानकारीमें यह तथ्य लाया गया है कि कारखानेका अमला भुगतानपर कमीशन लेता है जो सर्वथा गैरकानूनी है और उसे ऐसा करनेसे रोकनेको पूरी कोशिश की जानी चाहिए। यह सिफारिश करना भी तय हुआ कि रैयतके नाम एक घोषणा जारी करके उन्हें जानकारी दे दी जाये कि दस्तूरी देना कानूनमें नहीं आता।
(४) उन्होंने सुझाव दिया कि समितिकी सिफारिशोंपर सरकार द्वारा दिये गये आदेशोंका पालन किया जा रहा है या नहीं, इसकी समय-समयपर जाँच करनेके लिए एक अधिकारी मुकर्रर किया जाये। यह तय हुआ कि रिपोर्टमें एक अनुच्छेद जोड़ा जाये जिसमें इस बात पर जोर दिया जाये कि समितिकी सिफारिशोंके अनुसार सरकार द्वारा दिये गये आदेशोंपर अमल कराना जिलेके सरकारी अधिकारियोंका एक महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य होगा। जबतक कि सरकारको यह सन्तोष नहीं हो जाता कि इन आदेशोंपर पूरी तरह अमल हो चुका है, बेतिया राजके कर्मचारियोंपर इसका दायित्व विशेष रूपसे रहेगा।
[अंग्रेजीसे]
सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १५९, पृष्ठ ३००-५।