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चम्पारन समितिकी बैठककी कार्यवाही से

 

इसके बाद श्री रोडने सुझाव दिया कि यह प्रस्ताव ज्यादा न्यायोचित होगा कि शरहबेशीपर एक नियत प्रतिशत, कहिए २५ प्रतिशतके हिसाबसे घटा दिया जाये। श्री गांधीने कहा कि मैं समझौतेके आधारके रूपमें बड़ी खुशीसे यह सुझाव स्वीकार करनेको तैयार हूँ, और सद्भावना स्थापित करनेके लिए काफी दूर तक जानेको तैयार रहूँग।। सर्वसामान्य रूपसे यह स्वीकार किया गया कि मूल प्रस्तावकी अपेक्षा बातचीतके आधारके रूपमें यह सुझाव ज्यादा न्यायसंगत है। यह तय हुआ कि इर्विन,[१] हिल [२] और नॉर्मनसे[३] अगले दिन आनेको कहा जाये ताकि प्रस्तावको उनके सामने रखा जा सके।

तावान――पहली बैठकमें जिस प्रस्तावको निर्णय के लिए उठा रखा गया था, वह यह था कि जहाँ तावान पहले ही दिया जा चुका है, उन मामलोंमें कोई कार्रवाई न की जाये, लेकिन जहाँ तावानकी बकाया रकमोंके बदले रुक्के ले लिये गये थे, वहाँ वे रुक्के रद कर दिये जायें। अध्यक्षने कहा कि इस प्रस्तावमें एक कठिनाई यह है कि बहुतसे रुक्के ऐसे हैं जिनमें तावानके अलावा और भी कई ढंगकी रकमें शामिल हैं। इसलिए इन रुक्कोंके सवालपर अन्तिम निर्णय करनेसे पहले कोई जाँच-पड़ताल करनी जरूरी होगी। दूसरी कठिनाई यह है कि इस प्रस्तावका प्रभाव रैयत और बागान-मालिकों, दोनोंके ऊपर असमान रूपसे पड़ता है। श्री गांधीने कहा कि पहली कठिनाई तो कारखानेकी बहियोंकी जाँच करके हल की जा सकती है। तावानकी बकाया रकमें छोड़ दी गईं या नहीं, यह देखनेका काम मैं बेतिया राजपर छोड़ देना चाहूँगा। श्री रीडने कहा, मेरी समझमें बैरिया कारखानेको छोड़कर मिले-जुले रुक्के कहीं और नहीं लिये गये हैं; बैरियामें रैयतके कर्जोंको खत्म करके उन रकमोंको तावानमें जोड़ लिया गया था। मैंने शरहबेशीके बारेमें जो सुझाव दिया था वही सुझाव तावानके बारेमें भी दूँगा अर्थात् बकाया तावानमें से एक निश्चित प्रतिशत रकम निकाल दी जाये और जो तावान पहले दिया जा चुका है उसमें से एक निश्चित प्रतिशत रकम वापस कर दी जाये। यह बात केवल ठेकेवाले गाँवोंपर लागू होगी। ...

अगला मुद्दा जिसपर विचार किया गया, यह था कि जिन मामलोंमें तावान लिया जा चुका है, बेतिया राज वहाँ भी लगान बढ़ानेका दावा कर सकता है या नहीं। श्री रेनीने कहा, मैं इस प्रस्तावसे सहमत हूँ कि ऐसे मामलोंमें कोई वृद्धि न की जाये। किन्तु अध्यक्षका विचार था कि बेतिया राजके हितोंको भी ध्यानमें रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा, मेरा सुझाव है कि बेतिया राजको ऐसे मामलोंमें लगान बढ़ानेका अधिकार बना रहने दिया जाये जिनमें तावान लिया जा चुका है, लेकिन कुछ वर्षों तक, कहिए पाँच वर्ष तक, बढ़ा हुआ लगान वसूल न किया जाये । श्री गांधीने सुझाव दिया कि अगला बन्दोबस्त होने तक लगानमें बढ़ी हुई रकम छोड़ दी जाये। श्री रेनीने कहा

  1. १. एस० डब्ल्यू० इविन, मोतीहारी कारखानेके प्रबन्धक।
  2. २. जे० एल० हिल; तुरकौलिया कम्पनीके प्रबन्धक।
  3. ३. जे० बी० नॉर्मन; पिपराकी नील कम्पनीके प्रबन्धक।