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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अधिकसे-अधिक वृद्धि हासिल हो गई है और नीलकी खेतीसे होनेवाला लाभ भी एक दूसरे रूपमें बरकरार रहता है।

मो० क० गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (नेशनल आकाईव्ज़ ऑफ इंडिया) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १५३, पृष्ठ २९०-१ से भी।

३७७. पत्र: फूलचन्द शाहको

मोतीहारी
श्रावण सुदी १३ [अगस्त १, १९१७][१]

भाईश्री फूलचन्द,

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पत्र पढ़कर सुरक्षित रख लेना। रुपया रेवाशंकर भाईको भेज दिया गया है। उनके नामे डाल देना। कलकी सारी डाक देवदासके हाथों कहीं खो गई। उसमें [किसी एक पत्रमें] कपड़ेका आँकड़ा था । दुबारा लिख भेजना। अभी [कपड़ेकी] गाँठ आई नहीं है।

गोखलेजीके भाषण छपवानेका प्रबन्ध आजसे ही किया जाये तभी छपवा सकना सम्भव होगा; इसलिए उसका तत्काल प्रबन्ध होना चाहिए।

मोहनदासके वंदेमातरम्

प्रभुदास यहाँसे आज निकला है; वहाँ शनिवारकी रातको ८.३० पर पहुँचेगा।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ६३८६ ए) की फोटो-नकलसे।

३७८. पत्र : एस्थर फैरिंगको

नडियाद
अगस्त ३, १९१७

प्रिय एस्थर,

तुमने बड़े-बड़े सवाल उठा दिये हैं। मेरा खयाल है कि यीशुके उपदेशमें अस्पष्टताकी थोड़ी भी गुंजाइश नहीं है। जिसके हृदयमें प्रेम हो उसके लिए हत्या-मात्र बुरी चीज़ है। उसे हत्या करनेकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी। वह हत्या नहीं करेगा। जिसके हृदय में साँपके लिए दया होगी, उससे भय नहीं होगा, वह साँपको नहीं मारेगा और न साँप ही उसपर चोट करेगा। हमें मनकी निर्मलताकी अवस्था प्राप्त करनी चाहिए। परन्तु बिरले ही उसे प्राप्त कर पाते हैं। मुझे लगता है कि राष्ट्रोंके लिए

  1. १. गांधीजी इस दिन मोतीहारीमें थे।