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पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको

 

(४) उपर्युक्त भाग-२के (१) में उल्लिखित प्रतिनिधियोंको प्रत्येक जहाजकी जाँच करके भाग-२ के (३) में उल्लिखित बातोंके बारेमें अपनेको सन्तुष्ट करना चाहिए।
(५) उल्लिखित प्रतिनिधियोंको प्रत्येक जहाज-(स्टीमर) पर जाकर यात्रियोंसे उनके अनुभव सुनने चाहिए।
(६) जहाजपर रहनेवाले चिकित्सा अधिकारीको यह अधिकार दिया जाना चाहिए और उससे यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह हर तरहसे यात्रियोंकी शारीरिक सुख-सुविधाका ध्यान रखेगा। एक चिकित्सा अधिकारीने हस्ताक्षरकर्त्तासे कहा था कि यात्रियोंके लिए समुचित स्थान, उनकी सफाई, शौचालयोंके प्रबन्ध और उनकी दशा देखनेका काम उनके जिम्मे नहीं है।
(७) यात्रियोंके लिए हिदायतोंकी एक पुस्तिका कई स्थानीय भाषाओंमें तैयार कराई जानी चाहिए और उसकी एक प्रति प्रत्येक यात्रीको टिकटके साथ दी जानी चाहिए।

समिति यदि हस्ताक्षरकर्त्तासे कुछ अधिक जानकारी हासिल करना चाहे तो वह बड़ी खुशीसे इसके लिए तैयार है।

गांधीजी द्वारा संशोधित टाइप किये हुए मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६३८२) की फोटो-नकलसे।

 

३७२. पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको

मोतीहारी
जुलाई २५, १९१७

प्रिय श्री हेकॉक,

आपका २३ तारीखका गोपनीय पत्र[१] अभी-अभी मिला। उसके लिए धन्यवाद। आपकी चुप्पीका गलत अर्थ लगानेका मेरा इरादा नहीं था। तथापि मैं आपकी चेतावनीके औचित्यको पूरी तरह समझता हूँ। मैं जानता हूँ कि इस प्रश्नके निपटारेके बाद मैं जो कदम उठाना सोच रहा हूँ उससे अनेक परिणाम निकल सकते हैं; मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि मैं सरकारको पूरा-पूरा विवरण बतलाये

 
  1. १. यह “पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको”, २९-६-१९१७ के उत्तरमें लिखा गया था और उसमें कहा गया था: “... मेरी चुप्पीका गलत अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए, उससे यह नहीं समझना चाहिए कि सरकार आपके विचारका अनुमोदन करती है। मैं कह नहीं सकता कि सरकार बाहरसे स्वयंसेवक बुलानेके प्रस्तावके प्रति क्या रुख अपनायेगी ...।” सलैक्ट डॉक्यूमेंटस, सं० १४९ से।