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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

साबुन बनाया? हिन्दी सीखनेवाले कितने लोग आते हैं? हिन्दीकी शिक्षा कैसी लगती है? संध्या प्रार्थनामें कितने लोग आते हैं?

मोहनदासके वन्देमातरम्

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ६३६६) की फोटो-नकल से।

 

३६०. आश्रम-कोषके लिए परिपत्र

मोतीहारी
चम्पारन
[जुलाई ३, १९१७ को या उसके बाद][१]

प्रिय श्री शास्त्रियर,

मुझे अहमदाबादमें सत्याग्रह आश्रम चलाते दो वर्ष हो चुके। आश्रमका उद्देश्य उन स्त्री-पुरुषों और बच्चोंको जुटाना है जो या तो स्वयं आजीवन राष्ट्रसेवा करना अपना लक्ष्य बना चुके हैं या जिनके माता-पिता अपने उन बच्चोंके जीवनका यह लक्ष्य स्थिर कर चुके हैं। आश्रम में बहुत कुछ छंटनी करनेके बाद इस समय ३० सदस्य हैं जिनमें पुरुष, स्त्री और बच्चे सभी शामिल हैं। जबतक इसकी प्रवृत्ति आत्म-प्रशिक्षण तक सीमित थी, तबतक इसका खर्च उस सहायतासे चलता था जो मित्रोंसे मिल जाता था और इसके लिए कोई विधिवत् अपील करनेकी आवश्यकता नहीं होती थी। औसतन मासिक खर्च ४०० रुपये आता है और उसमें अस्थायी आगन्तुकोंका खर्च भी शामिल है; इन अस्थायी आगन्तुकोंकी संख्या खासी होती है।

किन्तु इसकी प्रवृत्ति धीरे-धीरे व्यापक हुई है और उसमें (१) हाथ-करघोंसे बुनाई (२) राष्ट्रीय ढंगकी शिक्षाके विकासका प्रयोग और (३) शिक्षित भारतीयों के लिए समान-माध्यमके रूप में हिन्दीका प्रचार समाविष्ट हो गये हैं।

इन प्रवृत्तियोंका अर्थ यह हुआ कि ऊपर मैंने जितना रुपया मिलनेकी बात

लिखी है, उससे ज्यादा खर्च। इन प्रवृत्तियोंके विकासके लिए जमीनके काफी बड़े टुकड़ेपर स्थायी मकान बनाना जरूरी है। मेरे पास जितना रुपया था उसमें से केन्द्रीय जेलसे कुछ दूर साबरमतीके किनारे स्वास्थ्यके लिए एक अनुकूल स्थानमें लगभग ५० बीघे जमीन खरीद ली गई है। यहाँ कॉलेजके छात्र भी आसानीसे पहुँच सकते हैं और वे आश्रमके पुस्तकालयका, जिसमें काफी संख्यामें चुनी हुई पुस्तकें हैं और काफी पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं, जिन्हें उनके प्रकाशक कृपापूर्वक मुफ्त भेजते हैं, अधिकाधिक संख्यामें उपयोग कर रहे हैं। भारत सेवक समाजके सदस्य श्री अमृतलाल वी० ठक्कर इसकी योजना बना रहे हैं। उनका मोटा अन्दाज है कि इमारतोंका खर्च १,००,००० रुपये आयेगा। शिक्षा सम्बन्धी प्रयोगपर लगभग ५०० रुपये प्रतिमास

  1. १. देखिए पिछला शीर्षक।