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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खर्च न किया जायेगा। यदि कोई विद्यार्थी होशियार लेकिन गरीब हो तो उसके लिए हम अपने मित्रसे कहकर पैसा दें तथा उसकी फीसके लिए दूसरे मित्रसे पैसा माँगें। परन्तु पाठशालाके कोषसे बिलकुल खर्च नहीं किया जा सकता।

इतिहास, भूगोल, विज्ञान तथा आरोग्यके विषयोंका गुजरातीमें समावेश किया जा सकता है।

हमें अनेक बार दक्षिणके सम्पर्कमें आना पड़ता है और उसमें हमें लाभ भी है। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थीको मराठी भाषा आनी चाहिए।

हस्तलिखित गुजराती प्रति (एस० एन० ६३१८) की फोटो-नकलसे।

 

३४९. पत्र: एच० मैक्फर्सनको

मोतीहारी
जून २९, १९१७

प्रिय श्री मैक्फर्सन,

आपका इस मासकी १८ तारीखका पत्र मेरी यात्रा के दौरान मेरे पीछे-पीछे फिरता रहा। मैं ग्यारह दिन बाहर रहकर अहमदाबादसे कल दोपहरके बाद लौटा हूँ। यद्यपि मेरे साथी कार्यकर्ताओंने चम्पारनसे गायब रहनेकी कोई खास कोशिश नहीं की फिर भी उनमें से ज्यादातर अपने निजी कामसे अक्सर बाहर जाते रहे हैं। वे गवाहों में इसलिए दिखाई नहीं दिये, कि उनका काम मेरे लिए उस गवाहीका, जो मैंने संगृहीत की है, एक संक्षिप्त विवरण तैयार करना और पूछताछ करनेवाले लोगोंको जानकारी देना है। मेरा खयाल है कि गवाहियाँ लेना और देहातोंमें जाना ईमानदारीके साथ बन्द कर दिया गया है, इसलिए यहाँ हलचलका सर्वथा अभाव है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १३८, पृष्ठ २४१ से भी।