पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/४८७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४५१
पत्र: एस्थर फैरिंगको

स्वयसेवकोंका काम अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और स्थायी होगा और इसीलिए वह मण्डलीके कार्यका अन्तिम और महत्त्वपूर्ण दौर होगा। अखबारोंमें कोई प्रचार किये बिना स्वयं-सेवक तैयार कर रखने चाहिए। और यदि दूसरे गुण होनेपर भी उन्हें हिन्दी न आती हो, तो उनको काम लायक हिन्दी सीख लेनेकी सलाह देनी चाहिए। उन्हें वयस्क, विश्वसनीय और कठोर परिश्रमी होना चाहिये, ताकि यदि उन्हें फावड़ा चलाना पड़े, या गाँवमें रास्तोंकी मरम्मत करनी पड़े, अथवा नये रास्ते बनाने पड़ें और गाँवकी नालियों या हौजोंकी सफाई करनी पड़े तो भी वे परवाह न करें एवं काश्तकारोंको जमींदारोंसे व्यवहार करनेका ठीक रास्ता दिखायें । छः मासके ऐसे प्रशिक्षणसे किसानों, कार्यकर्ताओं और समस्त देशको अकल्पनीय लाभ हुए बिना नहीं रह सकता।

मो० क० गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई अंग्रजी दफ्तरी प्रतिसे।

सौजन्य: गांधी स्मारक निधि

 

३४७. पत्र: एस्थर फैरिंगको

मोतीहारी
जून १७, १९१७

प्रिय एस्थर,

मैं ४ दिनके लिए अहमदाबाद जा रहा हूँ। बहुत हुआ तो २८ तारीख तक लौटुँगा। जो कुछ मेरे पास है वह कोई रहस्य नहीं है, और उसके सम्बन्धमें मुझसे जिज्ञासा करनेका तुम्हें पूरा अधिकार है? जिस प्रकार यह एक सुनिश्चित तथ्य है कि मैं तुम्हें इस समय पत्र लिख रहा हूँ; सत्य और प्रेमपर मेरा एकान्त विश्वास भी उतना ही सुनिश्चित तथ्य समझो। मेरी दृष्टिमें वे पर्यायवाची हैं। सत्य और प्रेमके बलपर सबको जीता जा सकता है।

हृदयसे तुम्हारा,
बापू

[अंग्रेजीसे]
माय डियर चाइल्ड