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चम्पारनकी स्थितिके सम्बन्धमें टिप्पणी―६

नहीं जा रहा हूँ। यदि आप कृपा करके मुझे तारसे बता सकें कि प्रस्तावके कबतक ‘गजट’ में छपनेकी सम्भावना है तो मैं कृतज्ञ हूँगा।

कृपया इस पत्रके मिलने के बाद सब पत्र मोतीहारी भेजें। मैं कल (गरुवारको) तमाम दिन बेतियामें रहूँगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १३१ पृष्ठ २१९ से भी।

 

३४६. चम्पारनकी स्थितिके सम्बन्धमें टिप्पणी-६

मोतीहारी
जन १७, १९१७

गोपनीय और अप्रकाशनीय

आपको स्मरण होगा कि जाँच-समितिकी नियुक्ति करनेवाले सरकारी प्रस्तावके[१] प्रकाशित होनेसे पूर्व ही श्री गांधी राँची बुला लिये गये थे। उस समय सरकारका विचार था कि उनको और उनके साथियौंको चम्पारनसे हटा दिया जाये। समस्त स्थितिपर लेफ्टिनेंट गवर्नर और श्री गांधीके बीच विस्तृत बातचीत[२] हुई। श्री गांधी कार्यकारिणी परिषद् के अन्य सदस्योंसे भी मिले[३] और दो दिनकी बातचीत के बाद सरकारने एक समिति नियुक्त करनेकी इच्छा प्रकट की और सुझाव दिया कि उस अवस्थामें श्री गांधी बयान लेना बन्द कर दें। श्री गांधीने सरकारकी यह बात तुरन्त मान ली। लेफ्टिनेन्ट गवर्नरने उनसे पूछा कि क्या वे उसके बाद चम्पारनसे चले जायेंगे और अपने सहकारियोंको हटा लेंगे? श्री गांधीने कहा कि नहीं, वे ऐसा नहीं कर

सकते। उनके साथी और वे गवाही एकत्र करने और समितिकी तैयारी करनेमें लगना चाहते हैं। उनकी यह इच्छा चम्पारनके बाहर रहकर पूरी नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त वे किसानोंके मनमें यह खयाल नहीं आने देना चाहते कि किसी भी रूपमें उन्होंने किसानोंका साथ छोड़ दिया है। तब लेफ्टिनेंट गवर्नरने इस मुद्देपर जोर नहीं दिया; किन्तु यह आशा व्यक्त की कि जबतक समितिकी बैठकें नहीं होतीं तबतक न तो श्री गांधी और न उनके साथी ही गाँवोंमें जायेंगे। उनकी यह बात भी मान ली गई। अब बयान लेना और गाँवोंमें जाना बिलकुल बन्द कर दिया गया है। प्रधान कार्यालय मोतीहारी ले जाया गया है और उन काश्तकारोंकी

 
  1. १. देखिए परिशिष्ट ११।
  2. २. देखिए “भेंट: बिहारके लेफ्टिनेंट गवर्नरसे”, ५-६-१९१७।
  3. ३. देखिए “पत्र: महाराजा बहादुर सर रामेश्वरसिंहको”, ४-६-१९१७।
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