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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

यदि मेरा बस चले तो मैं बागान-मालिक द्वारा रैयतको झुकाने के लिए अपनाये गये जबरिया तरीकोंके बारेमें बयान नहीं देना चाहता; अलबत्ता शरहबेशी और तावानके सवालके सिलसिलेमें जितना बयान देना जरूरी हो उतना दे दूँगा। मेरी बड़ी इच्छा है कि मालिकों और रैयतके बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित हो जायें। आपसी समझदारीके आधारपर की जानेवाली पड़तालमें जबरिया तरीकोंकी जाँचकी बात उठाना गलत होगा।

तब यही प्रश्न रह जाते हैं――शरहबेशी[१], साटे, जमीन इत्यादि छिन जानेके कारण रैयतको हुए व्यक्तिगत कष्ट और वसूल किये गये तावान तथा शरहबेशीकी वापसी। समिति इनकी जाँच करेगी। इस बीच शरहबेशीकी अदायगी मुल्तवी कर दी जानी चाहिए।

समिति केवल शरहबेशीके उन साटोंपर ध्यान देगी जो दिये जानेवाले उच्च न्यायालयके फैसलेके क्षेत्रमें नहीं आते। उच्च न्यायालयके फैसलेको दोनों ही पक्ष अन्तिम मान लेंगे। तब जाहिर है कि शरहबेशीके साटोंके बारेमें कोई भी जाँच उच्च न्यायालयका फैसला हो जानेतक के लिए मुल्तवी कर दी जायेगी।

समिति नियुक्त हो जानेपर हमारे कामका क्षेत्र बदल जायेगा। तब हमारा काम होगा――साक्ष्य इकट्ठा करना, उसका मिलान करना और उसे पेश करना और साथ-ही-साथ शिक्षण तथा संरक्षणका वह कार्यक्रम चालू करना जिसकी रूपरेखा आपके सामने रखी गई थी।

ऐसी समिति एक पंचायतकी तरह काम कर सकती है। उसमें मालिकों और रैयतकी ओरसे नामजद (दोनोंकी ओरसे एक-एक) सदस्य रहें और उनको एक निर्णायक नियुक्त करनेका अधिकार हो। निर्णायक द्वारा किया गया निर्णय दोनों पक्षोंके लिए अन्तिम और अनिवार्य हो। यदि किसी भी पक्षने उस मध्यस्थ-निर्णयका पालन न किया, तो उसके पीछे, न्यायिक प्राधिकारके स्थानपर, सरकारका बल रहेगा। यह एक घरेलू झगड़ा है, इसलिए यदि मेरे बतलाये हुए ढंगसे इसका निपटारा किया जाये तो उससे एक स्वस्थ परम्परा बनेगी।

परन्तु यदि समितिका काम पंचायतकी तरहका नहीं होगा, तो वह सरकार द्वारा नियुक्त एक सरकारी समितिकी तरह काम करेगी। तब उसके दो सदस्य तो वही रहेंगे जो पंचायत-जैसी समितिमें रहते, परन्तु अध्यक्षके पदपर उच्च न्यायालयका एक न्यायाधीश आसीन होगा।

यदि इस पत्रकी किसी बातका और खुलासा आवश्यक हो और यदि आप चाहें तो मैं किसी भी समय परिषद्के सामने आनेके लिए तैयार हूँ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, संख्या ११५, पृष्ठ १९८-९९।
  1. १. वेशी लगान।