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३१९. पत्र: छगनलाल गांधीको

बेतिया,
[मई २२, १९१७ के बाद][१]

चि० छगनलाल,

रेवाशंकरका[२] पत्र आया है, इसमें उसने छोटालालको भेजनेकी अनुमति माँगी है। और पैसेकी भी कुछ मदद देनेको कहा है। मैंने उसे लिख दिया है कि वह पैसेके बारेमें चि० मगनलालको लिखे। और छोटालालके विषयमें लिखा है कि वह स्वयं आनेके लिए राजी हो तभी उसे भेजा जाये।

साथके कागजोंसे पता चल जायेगा कि यहाँकी स्थिति किसी भी समय गम्भीर रूप धारण कर सकती है। डॉ० हरिप्रसाद आदि जो भी लोग यहाँ आनेके लिए तैयार हों, उन्हें कुछ समय हिन्दी सीखनेमें अवश्य लगाना चाहिए। यह बात शायद मैं पहले भी लिख चुका हूँ।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ६३५८) की फोटो-नकलसे।

३२०. पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको

मोतीहारी
मई २४, १९१७

प्रिय श्री हेकॉक,

मैं यहाँ कल रात पहुँचा, और रविवारको तीसरे पहर तक मोतीहारीमें ही रहनेकी आशा करता हूँ। इस बीच आप मुझे अपनी सेवामें मानें।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया ) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० ९६, पृष्ठ १६५ से भी।

 
  1. १. रेवाशंकरको रुपयेके बारेमें मगनलालको पत्र लिखनेके उल्लेखसे लगता है कि यह पत्र पिछले शीर्षकके बाद लिखा गया होगा।
  2. २. सोढ़ा।