पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/४३६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४००
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बीचमें कोई सम्बन्ध बताया गया है। यह सारी सामग्री में प्रकाशनके लिए चाहता हूँ। पत्र में एक विशेष सन्देशवाहकके हाथ भेज रहा हूँ जो आपके उत्तरके लिए रुकेगा।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० ७९ (ए) पृष्ठ १३६।

 

३०७. पत्र: एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाको

[मई १४, १९१७ अथवा उसके बाद]

श्री गांधीने एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाको निम्नलिखित पत्र लिखा है:

मैं यहाँ जो कार्य कर रहा हूँ उसके सम्बन्धमें अखबारोंमें आपके द्वारा प्रेषित हालके एक समाचारको देखते हुए मैं इसके साथ चम्पारनके जिला मजिस्ट्रेटके साथ हुआ अपना पत्र-व्यवहार संलग्न कर रहा हूँ। कृपया उसे प्रकाशित करायें।

श्री गांधीका पत्र[१]

उत्तर[२]

पत्र अपनी बात खुद ही बता रहे हैं। मैं उसमें इतना ही जोड़ना चाहूँगा कि जहाँतक मैं जानता हूँ आग लगनेकी उस घटनामें और यहाँ मेरी उपस्थितिमें किचित्भी सम्बन्ध नहीं है। आपके समाचारमें कहा गया है कि एक पूरी फैक्टरी जला दी

 
  1. १. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. २. प्रिय श्री गांधी, आपका ता० १४ मई १९१७ का पत्र मिला । मैं आपको निम्नलिखित जानकारी दे सकता हूँ। ओलहा फैक्टरी तरकौलिया प्रतिष्ठानका एक बाहरी हिस्सा है। उसका इंजिनवाला कमरा, प्रेस (कोल्हू) वाला मकान तथा खलीवाला मकान जल गये हैं। इन मकानोंकी कीमत मोटे तौरपर बीस हजार रुपये कूती गई है। लेकिन यह एक मोटा अनुमान मात्र है। इस हिस्से में कोई मैनेजर या सहायक मैनेजर नहीं रहता लेकिन इन मकानोंकी देखरेखके लिए कुछ नौकर रहते हैं। ये मकान मोतीहारीके दक्षिण-पश्चिम में कोई बीस मीलकी दूरीपर हैं। आपके पास, आपके कहनेके अनुसार, जो तरह-तरहकी अफवाहें पहुँची हैं उसका कारण शायद यह है कि इन मकानों में आग लगनेकी यह घटना इस जिलेमें आपके आनेके कुछ ही समय बाद हुई है और जाँचके सिलसिले में आपके आगमनसे वातावरण में काफी सरगर्मी पैदा हुई हैं।

हृदयसे आपका,
डब्ल्यू० बी० हेकॉक