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३०२. चम्पारनकी स्थितिके सम्बन्धमें टिप्पणी[१]

गोपनीय
बेतिया
मई १४, १९१७
 


मजिस्ट्रेटने श्री गांधीको जिलेसे बाहर चले जानेका जो आदेश दिया था वह जबसे वापस ले लिया गया है तबसे लोगोंके बयान लिखनेका काम बिना किसी रुकावटके लगातार चल रहा है। करीब ४,००० बयान लिये जा चुके हैं। मोतीहारी और बेतियामें किसान भारी संख्या में इकट्ठे हुए हैं। भीड़ इतनी ज्यादा है कि स्वयंसेवक अपना काम रोज-ब-रोज पूरा नहीं कर पाते।

ये सब स्वयंसेवक स्थानीय वकील हैं और उन्होंने अपना काम बहुत उत्साह और लगनके साथ किया है। बाबू ब्रिजकिशोरप्रसाद हमारे कामके इस हिस्सेकी देख-रेख करते रहे हैं। दूसरे स्वयंसेवकोंके नाम इस प्रकार हैं: बाबू राजेन्द्रप्रसाद,[२] बाबू धरणीधर,[३]बाबू गोरखप्रसाद बाबू रामनवमीप्रसाद,[४] बाबू शम्भुशरण[५] और बाबू अनुग्रहह्नारायण सिंह।[६] कभी-कभी आ जानेवाले लोग भी यदाकदा इस काममें हमारी मदद करते रहे हैं। कार्यकर्त्ता अनेक गाँवोंमें गये हैं और सैकड़ों काश्तकारोंसे उन्होंने उनके घरोंमें जाकर भेंट की है।

काश्तकारोंके साथ-साथ गोरे जमींदारोंको भी सभाओंमें आनेका निमन्त्रण हमेशा दिया जाता रहा है। लेकिन वे सभाओंमें कभी आये नहीं हैं। हाँ, उनके जमादार आते रहे हैं। श्री गांधी जमींदारोंसे अलग-अलग मिल चुके हैं और एक बैठकमें उनके प्रतिनिधियोंके साथ [सामूहिक रूपसे भी] गांधीजीकी बातचीत हो चुकी है। जमींदारोंके

 
  1. १. ये और ऐसी अन्य टिप्पणियाँ गांधीजीने समय-समयपर अपने साथी-कार्यकर्ताओं और चम्पारनके इस आन्दोलनके प्रति सहानुभूति रखनेवाले पत्र-सम्पादकोंके उपयोगके लिए लिखी थीं। ताकि ये पत्र-सम्पादक उन्हें पढ़कर चम्पारनकी वास्तविक परिस्थितिके बारेमें ज्यादा ठोस जानकारीके साथ लिख सकें (देखिए ‘टिप्पणी-३’)। इनमें से संख्या ३, ५ और ६ की टिप्पणियोंपर तो गांधीजीके हस्ताक्षर भी हैं; वाकीको इसी आधारपर गांधीजी द्वारा लिखा हुआ माना गया है। संख्या ४ उपलब्ध नहीं है। इस टिप्पणीपर क्रम-संख्याका उल्लेख नहीं है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं कि यह इस क्रमका प्रथम लेख है या दूसरा।
  2. २. (१८८४-१९६३); वरिष्ठ राजनीतिज्ञ; भारतकी संविधान सभा के अध्यक्ष, १९४६-४९; भारतके प्रथम राष्ट्रपति।
  3. ३. दरभंगा के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेसी।
  4. ४. मुजफ्फरपुरके प्रसिद्ध वकील; बिहारके निलहे गोरोंके खिलाफ किसानोंके मुकदमे लड़ते थे; गांधीजीके साथ चम्पारनके आन्दोलनमें और फिर असहयोग आन्दोलन में शामिल हुए।
  5. ५. (१८९२-१९३१); वकील व विहारके प्रसिद्ध कांग्रेसी; चम्पारन तथा असहयोग और खिलाफत आन्दोलनों में भाग लिया था।
  6. ६. (१८८९-१९५७); वकील और बिहारके कांग्रेसी नेता; विहार मंत्रिमंडलके सदस्य, १९४६-५७।