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पत्र: डब्ल्यू० एच० लुईको

पहली ही बार मिलनेपर आपकी मेरे हृदयपर जो छाप अंकित हुई थी वह अभीतक जैसीकी-तैसी बनी है और उसे बदलनेका कोई कारण प्रस्तुत नहीं हुआ। मैं निश्चित रूपसे कह सकता हूँ कि आपकी सत्तामें मैंने किसी प्रकारका हस्तक्षेप नहीं किया है।

और मेरी धारणा है कि आपका यह निष्कर्ष कि हाकिमोंकी जगह रैयतके दिलोंमें मैं घर करता जा रहा हूँ, तथ्योंके विपरीत और निराधार है। मेरा उद्देश्य अधिकारियों में लोगोंकी सहायताके निमित्त सहृदयताके भाव जाग्रत करना तथा जो दिलचस्पी वे उनके प्रति आजतक दिखाते आये हैं, उससे अधिक दिलचस्पीके लिए उन्हें प्रेरित करना है।

मुझे किसी प्रकारकी अशान्तिकी आशंका नहीं है, क्योंकि जहां-कहीं में जाता हूँ गोरे जमींदारोंसे मुलाकात करनेसे कभी नहीं चूकता और जहाँ-जहाँ मैं जाता हूँ लोगोंसे कहा करता हूँ कि राहत मुझसे नहीं बल्कि जमींदारोंसे और सरकारसे ही मिलेगी। मैं उन्हें यह भी सलाह देता रहता हूँ कि आप लोग किसी भी हालत में हिंसाका सहारा न लें, काम न रोकें, पहले की तरह ऐसे काम करते रहें, मानो जाँच हो ही नहीं रही है। मेरे मनमें लोगोंके द्वारा किसी प्रकारकी अशान्ति की जानेका अन्देशा इसलिए भी नहीं पैदा होता कि यह जाँच बिलकुल खुली जाँच है, और इसमें पुलिस तथा जमींदारोंके प्रतिनिधि भी बैठा करते हैं।

आप बाबू व्रजकिशोर प्रसादके साथ कुछ ज्यादती कर रहे हैं। बिहारके अन्य लोगोंके साथ-साथ वे मेरी अच्छी-खासी मदद कर रहे हैं। इस जाँचकी हदतक मैं और वे अलग-अलग नहीं हैं। इसीलिए वे तथा मेरे अन्य सहयोगी आपसे मिलने नहीं आये। परन्तु यह जरूर कहूँगा कि उनकी सहायता बहुमूल्य रही है।

जमींदारोंके प्रति न्याय करनेकी खातिर मुझे यह कहना ही चाहिए कि श्री स्टिलने[१] खुद अपनी मर्जीसे मुझे इस बातका निमन्त्रण दिया है कि मैं उनके देहात जाऊँ और जितने दिन चाहूँ वहाँ ठहरूँ। और श्री कॉक्सने मुझे इस आशयका पत्र लिखा है कि वे कुछ अग्रगण्य बागान मालिकोंको विचार-विनिमयके लिए एकत्रित करनेवाले हैं। पत्रके अन्तमें उन्होंने लिखा है कि “आप इतमीनान रखें कि हम लोग आपकी जाँचमें मदद पहुँचाना चाहते हैं।” कदाचित् यह बात आपके इस कथनके प्रतिकूल बैठती है कि निलहोंके मनमें मेरे बारेमें बड़ा शक बैठा हुआ है; वे मुझे अपना सहज शत्रु मानते हैं।

मैं सरकारके माध्यमसे, जहाँ-कहीं उसकी सहायताकी आवश्यकता हो, अपने देश-वासियोंकी और बागान मालिकोंकी सेवा करना चाहता हूँ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० ५१, पृष्ठ ९८-९।
 
  1. १. सी० स्टिल जो कि साठीकी नील-कोठीसे सम्बद्ध थे।