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२७९. पत्र: एस्थर फैरिंगको

मोतीहारी
अप्रैल १७, १९१७

प्रिय एस्थर,

निश्चय ही तुम्हें यह खबर देना उचित है कि मेरे गिरफ्तार होनेकी सम्भावना है। मैं यहाँ मजदूरोंकी कुछ शिकायतें दूर करवाने आया हुआ हूँ; अधिकारी लोग मेरी यह बात पसन्द नहीं करते। यही गिरफ्तारीकी सम्भावनाका कारण है। आश्रममें श्री एम० के नाम खत लिखकर उनसे कुछ कागज भेजनेको कहो। तब तुम्हें मालूम हो जायेगा। अपनी अन्तरात्माके अनुसार चलनेके कारण में गिरफ्तार किया जानेवाला हूँ यह विचार कर मुझे बेहद खुशी हो रही है।

तुम्हारा,
(अगर तुम्हें यही अच्छा लगता है तो)
बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड,

२८०. पत्र: एच० एस० एल० पोलकको

मोतीहारी
अप्रैल १७, [१९१७]

प्रिय हेनरी,

मुझे मालूम है कि तुम हर बातपर “खूब किया” कह दिया करते हो। ये दिन दक्षिण आफ्रिकाके सुनहरे दिनोंकी याद दिला रहे हैं; तिसपर स्थान वह है जहाँ राम और जनक रह चुके हैं। लोग सब प्रकारकी सहायता दे रहे हैं। आशा है कि हमें शीघ्र ही नायडू,[१] सोराबजी[२]और इमाम[३] [जैसे साथी] मिल जायेंगे। पता नहीं काछलिया[४]जैसे व्यक्ति हाथ लगेंगे या नहीं।

अदालतके अपमानके सम्बन्धमें अभीतक मुझे कोई सम्मन नहीं मिला है। प्रत्यक्ष है कि जो उत्तर[५] मैंने सरकारको भेजा है उसकी वह आशा नहीं कर रही थी।

कल रात मैंने वे कागजात तुम्हारे पास इलाहाबादके पतेपर भेज दिये; जब कि भेजना उन्हें कल रातको बाँकीपुर था। ऐसा नहीं हुआ और अब मैं तुम्हारे पास

 
  1. १.
  2. २.
  3. ३. व
  4. ४. दक्षिण आफ्रिका सत्याग्रह संघर्ष में भाग लेनेवाले वीर।
  5. ५. देखिए “पत्र: चम्पारनके जिला मजिस्ट्रेटको”, १६-४-१९१७।