पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/३९२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अभ्यास मेरी बताई विधिसे करना। गणित करना कदापि न छोड़ना। उसे थोड़ा-बहुत तो हमेशा करते ही रहना पड़ेगा। मेरी सलाह यह है कि विधि आती है, यह सोचकर प्रश्नोंको हल किये बिना छोड़ न देना । इस प्रकार तुम ज्यों-ज्यों सरल और कठिन प्रश्न हल करते जाओगे, त्यों-त्यों तुम्हारा गणितका ज्ञान अच्छा होता जायेगा। इसमें आलस्य न करना। ऐसा ही संस्कृतके सम्बन्धमें समझना। और सबसे अन्तमें आती है अंग्रेजी। उसमें फिलहाल तो मैंने रस्किनका जो-कुछ पढ़ाया है, उसपर भलीभाँति मनन करना। ‘लिसीदास’[१] पढ़ते रहना और जो-कुछ समझमें न आये, उसके सम्बन्धमें मुझे पत्र लिखकर पूछना।

यदि कुमारी इलेसिनको अंग्रेजी में पत्र लिखते रहोगे तो वह तुम्हें अंग्रेजीमें ही उत्तर दिया करेगी और तुम्हारे पत्रोंकी भाषा सुधारकर उन्हें वापस भेज दिया करेगी। प्रति-दिन कमसे-कम दो घंटे तो पढ़नेमें देना ही। यदि तुब इतना वक्त भी न निकाल सकोगे तो यह बहुत बुरी बात होगी। गुजराती पुस्तकें पढ़ने और उनपर मनन करनेकी आदत डालना भी आवश्यक है। यदि तुम नियमपूर्वक कार्य करो और बेकारकी बातें सोचते रहनेकी आदत छोड़ दो तो यह सब सहज ही सम्भव हो सकता है।

बापूके आशीर्वाद

यहाँकी चिन्ता न करना।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० १०९) से।

सौजन्य: सुशीलाबेन गांधी

 

२६३. मथुरादास त्रिकमजीको लिखे पत्रका अंश

अहमदाबाद
फाल्गुन बदी ११ [मार्च १९, १९१७१]

चि० रामकुँवरकी मृत्युके समाचारसे मनमें कई तरहके विचार उत्पन्न होते हैं। आनन्द बेन पर दुःखका बोझ बढ़ता ही चला जा रहा है। किन्तु मैं जानता हूँ, उनमें अपने चित्तको शान्त रखनेकी क्षमता है। तुम स्वयं भी ज्ञानी व्यक्ति हो। इस ज्ञानका उपयोग करके अपने चित्तको शान्त रखोगे।

[गुजरातीसे]
बापुनी प्रसादी
 
  1. १. अंग्रेजीके प्रसिद्ध कवि जॉन मिल्टन (१६०८-१६७४) का एक शोक-गीत।