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भाषण: कराचीको गिरमिट-विरोधी सभामें

यह एक प्रकारसे स्वराज्यको अस्वीकार करना होगा। वह हमें जो कुछ दे रही है, उसे बिना किसी शर्तके स्वीकार कर लेना चाहिए। अभी तो हमें पूरे मनसे इस योजनाको स्वीकार कर लेना चाहिए; इसके दोषोंकी आलोचना करने और उन्हें दूर करानेके लिए तो हमारे पास पर्याप्त समय होगा।

[अंग्रेजीसे]
न्यू इंडिया, ५-३-१९१२

२५९. भाषण: कराचीकी गिरमिट-विरोधी सभामें

मार्च २, १९१७

कराची नागरिक संघ (सिटिजन्स एसोसिएशन) के तत्त्वावधानमें इसी २ तारीखको खालिकदीन भवनमें गिरमिट-प्रथा जारी रखने के विरोधमें एक सार्वजनिक सभा हुई। संघके अध्यक्ष माननीय श्री हरचन्द रायने सभापतित्व किया।

श्री गांधी नियत समयके कुछ बाद आये। उन्होंने श्रोताओंको बताया कि मैं समाप्ति तक नहीं ठहर सकता, क्योंकि कासिम बाजारके महाराजाने इसी ६ तारीख को मुझे कलकत्ते आनेके लिए आमन्त्रित किया है, और मुझे वहाँ जानेवाली गाड़ी पकड़नी है।

वे आध घंटे तक हिन्दीमें भाषण देनेके बाद भवनसे चले गये।

उन्होंने अपना भाषण आरंभ करते हुए सभामें एकत्रित लोगोंसे अहमद मुहम्मद काछलियाको, जिनके भतीजेका[१]देहान्त हो गया एक संवेदनाका तार भेजनेका अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि श्री काछलियाने दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके लिए कितना काम किया है। उसके बाद उन्होंने गिरमिट-प्रथाकी चर्चा की। उसकी विभिन्न बुराइयोंका जिक्र करनेके बाद उन्होंने सभामें उपस्थित लोगोंसे कहा कि भारतीयोंको इसी सालकी ३१ मई तक इस प्रथाको रद करनेपर जोर देना चाहिए। यदि उनकी प्रार्थना स्वीकार न की जाये तो उन्हें भारतीय मजदूरोंका देशसे फीजी जाना रोकनके लिए जो कुछ किया जा सकता हो वह सभी करना चाहिए। लोगोंके मनमें इस प्रथाके प्रति घृणा-भाव उत्पन्न करने और उन्हें इसे बन्द करनेकी माँग करना सिखानेके लिए हर प्रयत्न किया जाना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्टस, १९१७, पृ० १४६।
 
  1. १. पुत्र; देखिए अगला शीर्षक।