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२५६. तार: सी० एफ० ऐन्ड्रयूजको

[अहमदाबाद
फरवरी २६, १९१७ या उसके बाद][१]

शुक्रका कार्यक्रम निभाने कराची जा रहा हूँ। कलकत्तेकी सभा[२] ७ को समझकर मंजूर किया था। वासे मन्त्रणाकी तारीख मेरी सुविधानुसार निश्चित करें। मार्फत दुर्गादास अडवानी, कराची तार दें। सस्नेह

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६३४८) की फोटो-नकलसे।

२५७.भाषण: होमरूल लीग कार्यालय, कराचीमें

मार्च २, १९१७

आज (इसी २ तारीखको) गांधी दिनमें दो बार होम रूल लीगके प्रधान कार्यालयमें गये। दोनों बार उन्होंने सदस्यों, सहयोगी सदस्यों और कॉलेजोंके छात्रोंके सम्मुख सत्याग्रह और तपके सम्बन्धमें भाषण दिया। उन्होंने देखा कि सिन्धी लोग वस्त्रोंके बहुत प्रेमी हैं। गांधीको उनका यह वस्त्रप्रेम अच्छा नहीं लगा। एक सदस्यने उनसे [गाँधीजीसे] पूछा कि वे नंगे पैर क्यों रहते हैं गांधीने उत्तर दिया कि यदि वे तपोमय जीवन न बितायें तो जनसाधारणसे अपनी सचाईमें विश्वास करनेकी आशा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भारत बहुत निर्धन देश है; इसलिए जो लोग वस्त्रोंपर पैसा खर्च कर सकते हैं, वे उसे इस तरह खर्च न करके गरीबोंको दे दें। ‘हिन्दवासी’ के श्री जेठमलने[३] उनसे सत्याग्रहके सम्बन्धमें प्रश्न किया। गांधीने अपने दक्षिण आफ्रिकाके अनुभवोंसे उदाहरण दे-देकर सत्याग्रहका महत्त्व समझाया। गांधी हरदेवी बाई कन्या पाठशाला देखने भी गये और वहाँ उन्होंने बच्चोंके सम्मुख शिक्षाके सम्बन्धमें संक्षेपमें कुछ बातें कहीं।

 
  1. १. यह ऐन्ड्यूजके २६ फरवरीके तारके उत्तरमें भेजा गया था। तार इस प्रकार था: “मार्च ८ के आसपास पंडित तथा अन्य लोगोंके साथ बार्न्स मन्त्रणा करेंगे। आपकी उपस्थिति आवश्यक. . .।”
  2. २. देखिए पिछला शिर्षक और “भाषण: कलकत्ताकी गिरमिट-विरोधी सभामें”, ६-३-१९१७।
  3. ३. जेठमल परसराम; हिन्दवासीके सम्पादक; सिन्धी विद्वान और राजनीतिक कार्यकर्त्ता, जिन्होंने बादमें देशके लिए जेल भोगी।
१३-२३