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भाषण: बम्बईकी गिरमिट-विरोधी-सभामें

 

पूंजीपति निर्भीक भी होता है और डरपोक भी। यदि हम अपना कर्त्तव्य-भर पूरा करें, यदि भारत सरकार केवल फीजी तथा वेस्ट इंडीजके बागान मालिकोंकी चाटुकारितासे नर्म न पड़े तो निस्सन्देह ये लोग भारतकी सहायताके बिना ही अपनी लाखोंकी पूँजीकी रक्षा करना सीख जायेंगे।

[अंग्रेजीसे]
स्पीचेज ऐंड राइटिंग्स ऑफ महात्मा गांधी (चौथा संस्करण)

२४७. भाषण: बम्बईकी गिरमिट-विरोधी-सभामें

फरवरी ९, १९१७

बम्बईके एक्सेल्सीयर थियेटरमें ९ फरवरी, १९१७को सर जमशेदजी जीजीभाईकी अध्यक्षतामें एक सार्वजनिक सभा हुई। उसमें सर एम० जी० चन्दावरकरने एक प्रस्ताव रखा जिसमें मांग की गई थी कि गिरमिट प्रथा तुरन्त बन्द कर दी जाये। यह प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास कर दिया गया। तब एच० ए० वाडियाने प्रस्ताव रखा कि अध्यक्षको यह अधिकार दिया जाये कि वे उक्त प्रस्तावको तार द्वारा महामहिमके भारत-मन्त्री तथा परमश्रेष्ठ भारतके वाइसरॉय और गवर्नर-जनरलको भेज दें।

श्री मो० क० गांधीने प्रस्तावका अनुमोदन करते हुए कहा: मैं मंचपर बैठे हुए अपने मित्रोंके आदेशको मानकर इस समय अंग्रेजीमें भाषण दूँगा। जिस प्रस्तावका में अनुमोदन कर रहा हूँ उसमें कहा गया है कि पूर्ववर्ती प्रस्ताव तार द्वारा भारत-मन्त्री तथा परमश्रेष्ठ वाइसरॉयको भेज दिया जाये। इसका क्या मतलब है? हमने बहुत सोच-विचारके बाद इस वर्षकी ३१ मई तक की मीयाद गुलामीके इस अवशेषको समाप्त करनेके लिए रखी है। (हर्ष-ध्वनि)। इसका मतलब यह है कि हम ५० वर्ष-तक सोये रहे और हमने यह प्रथा जारी रहने दी; किन्तु हमें अब अपने उत्तरदायित्व तथा कर्तव्यका भान हो गया है। अब हम एक दिन भी अधिक सोना नहीं चाहते; इसलिए हमारी इच्छा है कि एक क्षणकी भी देर किये बिना प्रस्ताव तार द्वारा प्रेषित कर दिया जाये। इस प्रस्तावको पास करके हम सरकारके हाथ मजबूत कर रहे हैं और उपनिवेशोंको उनकी इस कर्त्तव्यभावनाके प्रति सजग कर रहे हैं कि वे भारतको साम्राज्यका एक अभिन्न अंग समझें। इससे वाइसरॉयके हाथ भी मजबूत होंगे। तब परम-श्रेष्ठ वाइसरॉय कह सकते हैं कि यदि वे [ब्रिटिश-सरकार] ३१ मई तक गिरमिट प्रथाके कलंकको दूर करनेके लिए तैयार नहीं तो मैं अब भारतपर शासन नहीं करूँगा। (हर्ष-ध्वनि)। भारतके लोगोंका सम्मान दाँवपर है, इसलिए सोते या जागते उसके बारेमें हमें सोचना ही पड़ेगा। उन्होंने लोगोंसे अनुरोध किया कि वे ३१ मईका दिन याद रखें और तबतक बिलकुल चैन न लें। (हर्षध्वनि)

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १०-२-१९१७