२३९. पत्र: एस० हिगिनबॉटमको
अहमदाबाद
जनवरी १६, १९१७
संलग्न पत्रको देखने से आपको पता चलेगा कि मेरे पोस्टकार्डपर क्या बीती। उक्त पोस्टकार्ड लिखनेके बाद इस बीचमें मैंने वह किताब पढ़ डाली है। मुझे वह बहुत भायी। उसे पढ़कर में शिक्षा सम्बन्धी मामलोंमें एक निश्चित कदम उठा रहा हूँ ऐसा भी कह सकता हूँ कि लगभग उठा चुका हूँ। आप संभवतः उसके बारेमें शीघ्र ही सुनेंगे और शायद अपनी सलाहका लाभ भी देंगे।
आशा करता हूँ कि आप निकट भविष्यमें ही किसी समय आश्रम पधारेंगे।
आपका सच्चा,
मो० क० गांधी
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ८९३३) की फोटो-नकलसे।
२४०. पत्र: नारणदास गांधीको
अहमदाबाद
पौष बदी ९ [जनवरी १७, १९१७][१]
मैंने दो परिवर्तन करनेका निश्चय किया है। एक तो यह कि खेतीके लिए जो जमीन ली जाये उसमें उद्देश्य अच्छी कमाई करना हो। विचार यह है कि अच्छी कमाई होनेसे गृहस्थ मी इस कामकी ओर आकर्षित हो सकेंगे। दूसरा यह कि छोटे या बड़े पैमानेपर एक राष्ट्रीय शाला[२] खोली जाये, और उसमें विद्वान् शिक्षक रखे जायें। इन दोनों विभागोंमें वैतनिक कार्यकर्त्ता रखे जायें और उन्हें बाजार भावसे वेतन दिया जाये। इसमें तुम्हारे लिए भी गुंजाइश हो सकती है। विचार है कि तुमसे मुख्यतः इन विभागोंका हिसाब रखनेका काम लिया जाये। फिर भी यह निश्चित नहीं है। जो निश्चित है वह यह कि तुम्हें भी वेतनपर रखें। तुम आश्रममें रहना चाहोगे तो रह सकोगे। यदि तुम्हारी इच्छा इस कार्यमें सम्मिलित होनेकी हो तो सोचकर लिखना। कोई बहुत जल्दी नहीं है। तुम्हारा विचार हो तो आदरणीय खुशालभाईकी