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२२५. पत्र: ए० एच० वेस्टको

अहमदाबाद
दिसम्बर १२, १९९६

प्रिय वेस्ट,

पत्रके जिस मसविदेका उल्लेख पोलकने तुम्हारे नाम लिखे गये अपने संलग्न पत्रमें किया है यह वह मसविदा नहीं है। किन्तु मैं इस पत्रमें जो कह रहा हूँ उसमें उस मसविदेकी सभी बातोंका सार आ जाता है।

हम सबको तुम्हारे प्रस्तावपर विचार करनेके बाद यही लगा है कि अब हम सत्याग्रह-कोषकी सहायतापर निर्भर नहीं रह सकते। इस प्रकार सहायता प्राप्त करनेके सम्बन्धमें फीनिक्सके सभी न्यासी सहमत नहीं हैं। यहाँकी समिति अधिकसे-अधिक यही करेगी कि यदि ‘इंडियन ओपिनियन’ को चलानेके लिए कोषसे धन लिया जायगा तो वह उसे सहन कर लेगी। इसके सिवा यहाँके लोग भी इस प्रकार सहायता लेना बहुत ज्यादा नापसन्द करेंगे। ऐसी परिस्थितियोंमें हम केवल स्थानीय सहायताका ही सहारा ले सकते हैं――वह न मिले तो अखबारका आकार-प्रकार चाहे जिस हदतक कम कर सकते हैं। इस मामलेमें पूरा नियन्त्रण तुम्हारा होना चाहिए। यहाँ पर तुम्हारा कहनेसे अभिप्राय तुम, देवी,[१]साम[२]तथा जो व्यक्ति यहाँसे भेजा जाये उससे है।

मेरे विचारसे प्रागजीको अब निश्चित रूपसे चले जाना चाहिए। वे जाना चाहते हैं। भगा भी चला जायेगा। छगनलाल वहाँ आने तथा तुम्हारे अधीन निष्ठापूर्वक काम करनेके लिए तैयार है। या यदि तुम दायित्व न लेना चाहो तो तुम्हारे निष्ठापूर्ण सहयोगसे वह अखबार चलायेगा। मुझे पूरी आशा है कि तुम छगनलालकी वापसीसे सहमत होगे। यदि तुम सहमत न हुए तो मगनलाल अपने परिवारके साथ आयेगा और उपर्युक्त शर्तोपर काम करे। और यदि तुम मगनलालकी वापसीके पक्षमें नहीं हो तो मणिलाल और रामदास भेजे जा सकते हैं। वे वस्तुतः तुम्हारे निरीक्षणमें ही काम कर सकते हैं। मणिलालको धीरे-धीरे गुजराती विभागका सम्पादन करनेमें कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। इस समय तो वह जिस सामग्रीका अनुवाद तुम कराना चाहोगे उसीका अनुवाद करेगा।

यदि तुम छगनलालकी वापसीके पक्षमें हो तो केवल ‘छगनलाल’ लिखकर तार दो, मैं समझ जाऊँगा । यदि तुम मगनलालको चाहते हो तो केवल ‘मगनलाल’ लिखकर तार दो। और यदि तुम मणिलाल और रामदासको चाहते हो तो केवल ‘मणिलाल’ लिखकर तार दो। यदि तुम केवल मणिलालको चाहते हो तो ‘मणिलाल रामदास’ नहीं' लिखकर तार दे सकते हो।

हिसाबके बारेमें फिर लिखूँगा। हमें अभी उसे छापनेकी आवश्यकता नहीं है। मुझे पेटिटको सिर्फ यही सूचित करना है कि हम शेष रकमका उपयोग किस प्रकार करना

  1. १. वेस्टक बहिन एडा, जिनका नाम गांधीजीने देवी रखा था।
  2. २. गोविन्द सामी; इन्टरनेशनल प्रिंटिंग प्रेस, फीनिक्सके फोरमैन और शिकारी।