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प्रस्ताव: अहमदाबादमें गिरमिट-प्रथापर

 

गुजरातीमें बोलते हुए श्री गांधीने कहा: मेरे विचारमें श्रीमती एनी बेसेंटका केवल यही अपराध है कि वे सक्रिय रूपसे भारतमें स्वराज्यका आन्दोलन चला रही थीं, और यदि सरकारने उनपर इसी कारण प्रतिबन्ध लगाया है तो भूतपूर्व वाइसराय लॉर्ड हार्डिजपर भी इस इलाकेमें प्रवेश करनेपर प्रतिबन्ध लगाना उतना ही उचित है, क्योंकि सर्वप्रथम यह प्रश्न उन्होंने उठाया था। इसके अलावा तीन अन्य कारण हैं जिनके लिए हमें श्रीमती बेसेंटका साथ देना चाहिए। वे कारण यह हैं――वीरता, दया और स्वार्थ। सरकारने वस्तुतः एक स्त्रीपर हाथ उठाया है, इसलिए अपनी वीरताके लिए प्रसिद्ध राष्ट्रके रूपमें हमें इस अपमानके निवारणके लिए शक्तिभर प्रयत्न करना चाहिए। इसके बाद दयाका सवाल आता है। हमें सरकारपर दया आती है, क्योंकि वर्तमान कानूनके अन्तर्गत अपराधी व्यक्तिको ठीक मार्गपर लानेके सभी अधिकार प्राप्त होनेपर भी उसने अपने इन अधिकारोंका प्रयोग एक महिलाके विरुद्ध करना आवश्यक समझा है। अन्तमें यह प्रश्न स्वार्थका प्रश्न इसलिए है कि हम श्रीमती बेसेंटको अपने इलाकेमें लाना चाहते हैं, क्योंकि उनसे अच्छा आन्दोलन कोई भी नहीं चला सकता। यह तथ्य महत्त्वपूर्ण है कि सरकारी आदेशमें कोई कारण नहीं दिया गया। मैं इस प्रस्तावकी स्वीकृतिके लिए हार्दिक अनुरोध करता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २४-१०-१९१६

२२१. प्रस्ताव: अहमदाबाद में गिरमिट-प्रथापर

अक्तूबर २३, १९१६

अहमदाबादमें बम्बई प्रान्तीय सम्मेलनके तीसरे और अन्तिम दिन, २३ अक्तूबर, १९१६को गांधीजीने निम्नलिखित प्रस्ताव पेश किया:

यह सम्मेलन सरकारसे साग्रह अनुरोध करता है कि वह गिरमिट-प्रथाको जल्दीसे-जल्दी हटाये, क्योंकि यह प्रथा गुलामीका ही एक रूप है जो सामाजिक तथा राजनीतिक दृष्टिसे मजदूरोंको पतित बना देती है और देशके आर्थिक तथा नैतिक हितोंके लिए बहुत ही हानिप्रद है।

श्री गांधीने प्रस्ताव पेश करते हुए गुजरातीमें भाषण दिया और इस समय जो विभिन्न कठिनाइयाँ सामने हैं उनपर प्रकाश डाला।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २४-१०-१९१६