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रेलके यात्री

 

(१) स्टेशन या गाड़ीमें प्रवेश करते समय सबसे पहले बैठनेका बलपूर्वक प्रयत्न करनेके बजाय यदि आप यह सोचकर कार्य करें कि सबसे पीछे रहनेमें भी कोई हानि नहीं है तो आपको तनिक भी कष्ट न पहुँचेगा और आपके संयमसे दूसरोंको लाभ होगा।

(२) गाड़ीमें बैठनेपर इस बातका ध्यान रखना चाहिए कि उसमें जितने मनुष्योंकी गुंजाइश लिखी है उतने मनुष्योंको उसमें बैठनेका उतना ही अधिकार है जितना कि आपको; इसलिए यदि आप दूसरोंके बैठनेमें बाधा डालेंगे, तो रेलवेका कानून तोड़ेंगे और झूठ बोलकर नीतिके नियम भंग करेंगे।

(३) तीसरे दर्जेके यात्रीको जितना असबाब अपने साथ ले जानेका अधिकार है यदि आप भी उतना ही असबाब अपने साथ रखेंगे तो दूसरे लोग आरामसे बैठ सकेंगे। यदि आप इससे अधिक असबाब अपने साथ ले जानेमें समर्थ हों तो उसे ब्रेकमें रखवा दें और उसका किराया दे दें।

(४) आपका असबाब ऐसा होना चाहिए जो बेंचके नीचे या ऊपरके पट्टेपर आसानीसे आ जाये।

(५) यदि आप धनाढ्य हों और आपका परोपकारका विचार न हो तो अपने आरामके लिए आपको पहले या दूसरे दर्जेका ही टिकट लेना चाहिए। सिर्फ कंजूसीके कारण तीसरे दर्जेका टिकट लेनेसे आप गरीबोंपर भाररूप बनेंगे। यदि कदाचित्आ पकी इच्छा ऊँचे दर्जेमें बैठनेकी न हो तो आपको अपनी अमीरीका इस प्रकार उपयोग कभी न करना चाहिए, जिससे आप और आपका असबाब आपके साथी मुसाफिरोंके कष्टका कारण हो।

(६) आपको याद रखना चाहिए कि ऐसे सब यात्रियोंको जिनकी यात्रा अधिक लम्बी हो, सोनेकी कुछ सुविधा पानेका अधिकार है; इसलिए आपके हिस्से में जितने समय सोना आये, आपको उतना ही सोना चाहिए। (७) यदि आप सिगरेट पीते हों तो आप दूसरोंका विचार कर उनकी अनुमतिसे इस तरह सिगरेट पियें कि उन्हें कष्ट न हो। (८) यदि आप फर्शपर पैर रखनेकी जगह थूकेंगे तो उससे गंदगी फैलेगी। उससे कभी-कभी रोग भी पैदा हो सकते हैं; स्वच्छताके नियमोंका पालन करनेवाले अनेक यात्रियोंके लिए यह कुटेव असह्य रूपसे कष्टप्रद होती है।

(९) रेलमें संडासको सावधानीसे काममें लेनेसे सभी यात्रियोंकी सुविधामें वृद्धि होगी। उसे लापरवाहीसे काममें लेकर आप अपने बादमें आनेवाले यात्रियोंका कुछ भी विचार नहीं रखते।

(१०) यात्राके समय आप ब्राह्मण हैं, दूसरा मुसलमान; आप बम्बईके निवासी दूसरा वैश्य अथवा शूद्र हैं; आप हिन्दू हैं दूसरा मद्रासका आदि भेदभावोंको मनमें स्थान देकर द्वेषकी सृष्टि करनेके बदले यदि आप यह मानकर भ्रातृभावसे बरतें कि हम सब भारत-माताके पुत्र हैं और संयोगसे एकत्र हुए हैं तो आपकी वह घड़ी सुखसे बीतेगी और भारतकी शोभा बढ़ेगी।

[गुजरातीसे]
महात्मा गांधीनी विचारसृष्टि
१३-१९