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भाषण: समाचारपत्र-कानूनके विरोध में

पढ़नेका वचन देता हूँ। यह मत सोचना कि मैंने दक्षिण आफ्रिकाको अपने दिमागसे निकाल दिया है। ऐसा कैसे हो सकता है? मैं दक्षिण आफ्रिकाका, अर्थात् वहाँ बनाये गये मैत्री सम्बन्धोंका, बहुत ॠणी हूँ। मुझे जब कभी उदासी घेरती है, वहाँ काम करनेवाले मित्रोंको याद करके बड़ी तसल्ली होती है। मैं समान रूपसे तुम्हारी सफलताओं और असफलताओं दोनोंके बारेमें जाननेके लिए उत्सुक हूँ।

क्या तुम्हारा छोटा-सा स्कूल चल रहा है? ग्रेनी[१] कैसी हैं? क्या वे अभीतक पहलेकी तरह ही चुस्त हैं? उनका खयाल आने और उनके कामके ढंगकी बात सोचने-भरसे स्फूर्ति मिलती है। मैं अभी प्रार्थनाके समय आश्रमके सदस्योंको ‘पिल्ग्रिम्स प्रोग्रेस’ पढ़कर सुना रहा हूँ। मुझे अक्सर श्रीमती वेस्टके मधुर स्वरका खयाल आता है, और मैं चाहता हूँ कि वे हमें ‘व्हेन आई सर्वे द वन्डरस क्रॉस’[२] गीत गा कर सुनायें! हम जब-कभी अपने प्रिय भजन गाते हैं तब मेरे सम्मुख समस्त फीनिक्स आश्रमका चित्र आ जाता है।

तुम सबको स्नेह,

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ४४१९) की फोटो-नकलसे।

सौजन्य: ए० एच० वेस्ट।

२०७. भाषण: समाचारपत्र-कानूनके विरोध में[३]

जून २४, १९१६

शनिवार २४ जून १९१६ को इंडियन प्रेस असोसिएशनके तत्त्वावधान में एम्पायर थियेटरमें समाचारपत्रोंकी स्वतन्त्रताको कायम रखने और १९१० के समाचारपत्र-कानूनका[४] विरोध करनेके लिए बम्बईके नागरिकोंकी एक सार्वजनिक सभा हुई। इसकी अध्यक्षता ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ के सम्पादक श्री बी० जी० हॉनिमैनने की।

 
  1. १. ए० एच० वेस्टकी सास, जिन्हें फीनिक्समें सब लोग ग्रेनी (दादी) कहते थे और वस्तुतः वैसा ही मानते भी थे। देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २३।
  2. २. एक ईसाई गीतकी प्रथम पंक्ति; पूरा गीत आश्राम भजनावलिमें संगृहीत है।
  3. ३. इसका एक संक्षिप्त विवरण २६-६-१९१६ के बॉम्बे क्रॉनिकलमें प्रकाशित हुआ था।
  4. ४. विधान-संहिता में १९०८ का समाचारपत्र-कानून १९१० में सम्मिलित किया गया था। इसके द्वारा सरकार नये छापेखानों और अखवारोंसे २,००० रुपये तककी और पुराने छापेखानों और अखबारोंसे ५,००० रुपये तककी जमानतें माँग सकती थी। १९१४ में प्रथम महायुद्ध आरम्भ हुआ तो इस कानूनका दुरुपयोग किया गया और कलकत्ता उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशने इसकी निन्दा की।