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२०३. भाषण: अहमदाबादके जाति-सम्मेलन में[१]

जून ४, १९१६

सम्मेलन और भाषण इस सबसे मैं थक गया हूँ और अपनी आवाज सुनते-सुनते भी ऊब उठा हूँ। जब भगवान् बुद्धने संसारका उद्धार करनेका विचार किया तब उन्होंने सम्मेलन बुलाकर सर्वसम्मतिसे प्रस्ताव पास नहीं करवाया था और न ईसा मसीहने ही ऐसा किया था। किन्तु हम तो इतने बड़े नहीं हैं, अतः मुझे लगता है कि उस कार्यको करनेके लिए जितना मनोबल चाहिए उतना मनोबल हममें न होनेके कारण हमें सामान्य सम्मेलन बुलाने पड़ते हैं। चूँकि समस्त देशमें ऐसा ही किया जाता है; इसलिए मैं यह नहीं कहता कि केवल आप ही ने ऐसा किया है।

इस सम्मेलनका आरम्भ और कामका ढंग कुछ अनोखा है। किन्तु मेरा विश्वास है कि वह उपयोगी है। यहाँ जो काम हो रहा है वह लम्बे-लम्बे भाषणोंसे नहीं हो रहा है बल्कि मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि यहाँके लोग प्रसंगानुकूल और विषयपर कायम रहकर बोलते हैं। हमने संक्षेपमें और प्रसंगानुकूल बोलनेकी आदत गुजराती व्यापारियोंके वातावरणमें से सीखी होगी। हमारी जातियोंमें जो परिवर्तन इस समय हो रहे हैं उनसे हमने यह समझा होगा कि जातियाँ कर्म और अधिकारके बलपर उन्नत या अवनत होती हैं। चांपानेरी बनिए कभी वैश्य थे। पीछे वे धन्धेसे घांची (तेली) हो गये। अब भारतके जाति-संगठनमें विशेष शिक्षा लेकर और उन्नति करके उनका फिर वैश्य हो जाना और उससे भी अधिक ऊँचा उठ जाना अथवा घांचीसे भी नीचा हो जाना अशक्य नहीं है। अन्त्यजको धिक्कारनेका हमारा पाप समस्त हिन्दू-जातिको गिराता है। मेरे साथ दूदाभाई ढेड़ रहते हैं और जो यहाँ भी आये हैं, उन्होंने एक बार एक बहनसे पानी माँगा। उस बहनने पूछा, तुम्हारी जाति क्या है? तब दाभाईने उत्तर दिया: ‘मैं तो ढेड़ हूँ। उस बहनने कहा: तुम ढेड़ नहीं हो सकते। तुम तो अच्छे कपड़े पहने हो, साफ-सुथरे हो और ढेड़-जैसे नहीं दिखते। लो पानी पियो।’ यह कहकर उसने पानी पिला दिया। किन्तु दूदाभाईने पानी पीकर उस बहनको फिर कहा: मैं तो ढेड़ ही हूँ और तुमको धोखा नहीं देना चाहता। इसपर उस बहनने उनपर गालियोंकी झड़ी लगा दी। दूदाभाईने उन गालियोंको सह लिया। इस तरह उन्होंने अपने शौर्य और मनोबलका परिचय दिया। इसी तरह हमारे लाखों हिन्दू भाई ढेड़ लोगोंका तिरस्कारकरते हैं और जबतक इस स्थितिमें सुधार नहीं होता तबतक दक्षिण आफ्रिकामें और अन्यत्र जो गोरे हमारा तिरस्कार करते हैं हम उनके सम्मुख यह सिद्ध न कर सकेंगे कि हम इस व्यवहारके सर्वथा अयोग्य हैं। आज में प्रतिज्ञा करता हूँ कि मेरे इस विचारमें कोई भूल हो और उसे आपमें से कोई भी भाई मुझे बताये तो मैं उस भूलको नम्रतापूर्वक

  1. १. जाति-संघोंके सम्मेलन अहमदाबादमें।