पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/२९१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१८३. भाषण: कराचीमें गोपाल कृष्ण गोखलेपर

फरवरी २९, १९१६

मंगलवार, २९ फरवरी १९१६को खालिकवीना भवन, कराचीमें गोखलेजीके चित्रका अनावरण करते समय गांधीजीने निम्नलिखित भाषण दिया:-

हैदराबाद, सिन्धमें भी मुझसे श्री गोखलेके चित्रका अनावरण करनेको कहा गया था; वहाँ मैंने अपने-आपसे और उपस्थित लोगोंसे एक सवाल पूछा था। वही इस समय आपसे और खुदसे पूछ रहा हूँ। प्रश्न यह है: मुझे श्री गोखलेके चित्रका अनावरण करने और आपको इस आयोजनमें शामिल होनेका क्या अधिकार है? वैसे किसी चित्रका अनावरण करना या उसके समारोहमें शामिल होना अपने आपमें कोई बड़ी या महत्त्वपूर्ण बात नहीं है। किन्तु समारोहसे सम्बन्धित यह प्रश्न वास्तवमें महत्त्वपूर्ण है कि क्या सचमुच आपके और मेरे हृदयोंपर इतना असर हुआ है कि इस महापुरुषके उज्ज्वल उदाहरणका अनुकरण करनेके लिए हम और आप आतुर हैं? यदि हमने उनके मार्गका अनुसरण नहीं किया तो इस आयोजनका कोई वास्तविक अर्थ नहीं बचता। और अगर हमने उनका अनुसरण किया तो हम बहुत-कुछ प्राप्त कर सकेंगे। इसमें शक नहीं कि हममें से हरएक व्यक्ति उतनी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता जितनी श्री गोखलेने शाही परिषद्में में पाई थी। किन्तु जिस प्रकार उन्होंने बिना एक क्षणका अवकाश लिए पूरे मनसे मातृभूमिकी सेवा की, वैसा करना तो हम सबके हाथकी बात है। मुझे उम्मीद है कि आप लोग यहाँसे जानेके बाद उनके विचारोंके अनुसार काम करनेकी बात मनमें जमाये रहेंगे और इस प्रकार आप उनके प्रति अपना आदर व्यक्त करेंगे।

आप जानते हैं कि स्वयं श्री गोखले भारत सेवक समाजकी स्थापनाको अपनी सबसे बड़ी कृति मानते थे। वे यह संस्था छोड़कर गये हैं; अब यह हमारा काम है कि हम उसको सहारा देकर उसके श्रेष्ठ कार्यको आगे बढ़ायें। सबसे अच्छा तो यह होगा कि हम ‘समाज’ में शामिल हो जायें। किन्तु तब सवाल उठता है कि हम उसके योग्य हैं। या नहीं। और यदि उसमें शामिल होनेकी हमारी परिस्थिति नहीं है तो हम सब दूसरा काम यह कर सकते हैं कि उसे आर्थिक सहायता दें और उसकी निधिको भर दें।

[अंग्रेजीसे]
‘स्पीचेज ऐंड राइटिंग्ज ऑफ महात्मा गांधी’
 
१३-१७