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भाषण: नवसारीमें

चाहिए। मुझे भी ईश्वरके सम्मुख इसके लिए उत्तर देना पड़ेगा। यदि आप पिरानीमें से आर निकाल देंगे तो बादमें जब कभी मैं यहाँ आऊँगा मुझे उससे सन्तोष होगा। किन्तु यदि तबतक भी आपने आर न निकाली तो मैं बैलगाड़ीमें बैठनेकी अपेक्षा पैदल आना अधिक पसन्द करूँगा। निर्बल प्राणियोंपर प्रहार न करना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि हम अपनेपर प्रहार करनेवालेको बुरा-भला कहते हैं। अन्तमें आपने मेरे प्रति जो प्रेमभाव दिखाया है, उसके लिए मैं कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।

[गुजरातीसे]

गुजरात मित्र अने गुजरात दर्पण, ९-१-१९१६

 

१५९. भाषण: नवसारीमें[१]

जनवरी ५, १९१६

सज्जनो, मुझे दुःख है कि मैं कल आपकी सेवामें उपस्थित न हो सका और आप सबको निराश लौटना पड़ा।[२] हम सत्याग्रही, निश्चित किये हुए प्रत्येक कामको कर सकते हैं; किन्तु आकस्मिक घटनाके आगे कोई वश नहीं चलता। अस्तु, आप लोग मेरे प्रति इतना प्रेम और सम्मानका भाव रखते हैं, इसलिए मैं आप सबका उपकार मानता हूँ। मैंने दक्षिण आफ्रिकामें जो सेवा की है उसके लिए मेरे सहायकों और फकीरा कोलीको[३]सम्मान देना उचित है। वहाँ मेरा काम नये बनाये गये कानूनों को स्पष्ट करना और अपने देशबन्धुओंको समझाना एवं उनमें सत्याग्रह द्वारा फेरफार कराना था। मेरा यह प्रयत्न बहुत कुछ सफल हुआ है। मैं वहाँ लोगोंको अच्छे रास्ते पर चला सकता था। भारतमें मुझे दूसरा ही ढंग दिखाई देता है। यदि लोगोंको कुछ कष्ट-सहनके लिए कहा जाये तो वे डरकर चले जायेंगे; किन्तु मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझमें अपने देशबन्धुओंकी सेवा करनेकी शक्ति आये। नवसारी यहाँके पारसी लोगोंका बहुत ऋणी है। यह छोटी-सी जाति सभी कार्योंमें भाग लेती है। मैं उसे बधाई देता हूँ। आफ्रिकामें यह जाति गेहुँओंमें कंकड़ोंकी तरह बहुत अल्प-है; किन्तु इसने वहाँ बहुत वीरतापूर्वक काम किया है। हमारा पारसी रुस्तमजी को[४] विशेष रूपसे श्रेय देना उचित है।[५] मैं कोली-जाति और अन्य लोगों द्वारा दिये गये सम्मानके लिए बहुत उपकार मानता हूँ ।

  1. १. यह भाषण नवसारीमें, जो गुजरातका एक तटवर्ती नगर है, कोलियों द्वारा दिये गये मानपत्रके उत्तरमें दिया गया था।
  2. २. अखबारोंमें छपी खबर के अनुसार गांधीजीकी बैलगाड़ी उलट गई थी और इस दुर्घटना के कारण उनकी गाड़ी छूट गई थी।
  3. ३. वे कुछ वर्षं गांधीजीके साथ रहे थे।
  4. ४. नेटालके एक दानी, व्यापारी और समाजसेवक, देखिए खण्ड ९, पृष्ठ २९७।
  5. ५. यहाँ टाइम्स ऑफ इंडियाकी खवरमें ये शब्द और जोड़े गये हैं, “मैं दाबू पारसी जनरल अस्पतालके कामसे बहुत सन्तुष्ट हूँ। और पारसी-समाजमे इस संस्थाको पर्याप्त सहायता देनेका अनुरोध करता हूँ।”