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भाषण : सूरतमें अंग्रेजीके स्थानके बारेमें

बालकृष्ण नामक एक वक्ताने गांधीजीकी विवादोंसे बचनेकी सलाहका विरोध किया था। उनके तर्कोंका उत्तर देते हुए गांधीजीने कहा:

अपने गुरु श्री गोखलेके निर्देशके अनुसार में किसीके साथ वाद-विवादमें नहीं पड़ना चाहता। नया वर्ष आरम्भ हो रहा है, अतः मैं उनके इस निर्देशका स्मरण पुनः करता हूँ। चूँकि यह प्रश्न उठा है, इसलिए मैं इतना ही कहता हूँ कि यह प्रश्न बहुत ही नाजुक है और इसी कारण विचार-विमर्शके बिना इसका उत्तर नहीं दिया जा सकता। मेरे मनमें किसीके प्रति पक्षपात नहीं है। यदि मैं यह अनुभव करूँ कि मैं समाजका सदस्य बनकर भारतकी अधिक सेवा कर सकता हूँ तो मैं उसका सदस्य बन जाऊँगा और जब में ऐसा अनुभव करूँगा तब तुरन्त सार्वजनिक रूपसे वैसा कहूँगा। फिलहाल, मैं श्री बालकृष्णको कोई उत्तर नहीं दे सकता। किन्तु यदि वे किसी समय अहमदाबाद आयें तो मैं इस सम्बन्धमें उनसे बातचीत करूँगा। और उनका परितोष करूँगा।[१]

[गुजरातीसे]

गुजरात मित्र अने गुजरात दर्पण, ९-१-१९१६

गुजराती, ९-१-१९१६
 

१५२. भाषण: सूरतमें अंग्रेजीके स्थानके बारेमें[२]

जनवरी ३, १९१६

यह बहुत आश्चर्यकी बात है कि अंग्रेजीमें भाषण देनेवाले छात्र यह भी नहीं सोचते कि वे जिन लोगोंके सम्मुख भाषण दे रहे हैं वे उनके भाषणको समझ सकेंगे या नहीं। वे यह विचार भी नहीं करते कि जो अंग्रेजी समझ सकते हैं उन्हें उनकी यह टूटी-फूटी अशुद्ध अंग्रेजी सुनकर अच्छा लगेगा या बुरा। नवयुवक अपनी मातृभाषासे पराङ्मुख होकर विदेशी भाषाके ऐसे प्रगाढ़ अनुरागी हो जायें, सचमुच यह खेद-जनक स्थिति है। देशमें नवयुगका आरम्भ विदेशियोंके संसर्गसे हुआ है। ऐसा कहनेवाले

लोग अपने नये विचार अपने पास-पड़ोसके लोगोंको समझानेकी कितनी चिन्ता करते है? उन्हें यह अवश्य देखना चाहिए कि जिस भाषाको उनके माता-पिता नहीं जानते, जिस भाषाको उनके भाईबन्द नहीं समझ सकते और जिस भाषाको उनके नौकर-चाकर, स्त्री-पुरुष या सगे-सम्बन्धी भी नहीं समझते उस भाषामें बड़बड़ करनेसे नवयुग पास आयेगा या दूर खिसकेगा? कुछ लोगोंका यह भी खयाल है कि अंग्रेजी हमारे देशकी भाषा है और आगे-पीछे यही भाषा देशके सब लोगोंकी भाषा बन जायेगी। किन्तु यह खयाल मुझे सही नहीं जान पड़ता। मुट्ठी-भर अंग्रेजी पढ़े लोगोंको ही हम अपना देश मान लें तो कहना पड़ेगा कि हम देश शब्दका अर्थ नहीं समझते। मुझे तो यह विश्वास है कि तीस करोड़ लोग अंग्रेजीके जानकार हो जायेंगे और अंग्रेजी

  1. १. गुजरातीसे।
  2. २. जैन छात्र-पुस्तकालयके उद्घाटनके अवसरपर।
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