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डायरी: १९१५
दिसम्बर १, बुधवार
- राजकोट जानेके लिए श्री देवलेके साथ अहमदाबादसे प्रस्थान किया। अन्तिम घड़ीमें वा तैयार होकर साथ आई। पूंजाभाई बड़वान तक आये। बड़वान और वीरमगाँवके[१] लोगोंसे मिला। राजकोटमें गोकीबेनसे मुलाकात की।
दिसम्बर २, बृहस्पतिवार
- राजकोट में बिताया। पंडितसे मिला। विठ्ठलभाईके पास चन्देके लिए गया। उन्होंने २० रुपये लिखे।
दिसम्बर ३, शुक्रवार
- वांकानेर गया। बा तथा जमनादास साथ आये। खड्डी देखी। समारोह हुआ। जलूस निकला। सभामें ८२५ रुपये मिले। शामको वांकानेर छोड़, राजकोट आया।
दिसम्बर ४, शनिवार
- गोंडल पहुँचा। जमनादास, खंडेरिया और पुरुषोत्तमदास साथ आये हैं। ठाकुर साहबसे मिला। सभा हुई।[२] पोपटभाई राजकोटसे आये।
दिसम्बर १०, शुक्रवार
- भावनगर छोड़ा। अमरेली पहुँचा। सार्वजनिक सभा। हरिलालभाईसे मानपत्र सहित मंजूषाको बेचनेके लिए कहा।
दिसम्बर ११, शनिवार
- अमरेलीमें जेल, आवास-गृह और पाठशालाएँ आदि देखीं।
दिसम्बर १२, रविवार
- हडाणे आया। बगासरा गया। वहाँ एक सभा हुई।[३]
दिसम्बर १३, सोमवार
- लीमडी आया। जमनादास हडाणेसे अलग हो गया। नानचन्दजी महाराजसे भेंट करने गया।
दिसम्बर १४, मंगलवार
- बड़वान पहुँचा। लीमडीसे प्रस्थान किया। वहाँ सभा। ठाकुर साहब अध्यक्ष थे।
दिसम्बर १५, बुधवार
- बड़वान में स्वागत समारोह। इसका आयोजन कैम्पमें किया गया था। ध्रांगध्रा जानेके लिए रवाना हुआ।
- वहाँ पहुँचा। हाईस्कूलमें सभा। राजा साहब अध्यक्ष थे।