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डायरी: १९१५
नवम्बर २, मंगलवार
- अमृतलाल ठक्कर रातको आये। डोककी पुस्तकका एक प्रकरण पूरा किया।
नवम्बर ३, बुधवार
- कणबी नारणजी सवेरे आये।
नवम्बर ४, बृहस्पतिवार
- श्री पेंटर मिलनेके लिए आये। शारदाबेन[१]आश्रम देखनेके लिए आई थी।
नवम्बर ५, शुक्रवार
- भाई अमृतलाल ठक्कर आये।
'नवम्बर ६, शनिवार
- अमृतलाल गये। इंदुलाल याज्ञिक आये।[२]
नवम्बर ७, रविवार
- इंदुलाल गये। बापुजी अपने पौत्र बेचर और चतुरके साथ आये।
नवम्बर ८, सोमवार
- वाघरी स्कूलके १२५ से भी अधिक लड़के आये। उनको फलाहार कराया। मणिलाल तथा पूंजाभाई हर एकने पाँच रुपये दिये।
नवम्बर ९, मंगलवार
- वालजी वापस आये।
नवम्बर १०, बुधवार
- व्रजलाल वोरा आया।
नवम्बर ११, बृहस्पतिवार
- डॉक्टर देव आये। व्रजलाल बम्बई गया।
नवम्बर १३, शनिवार
- सेठ इस्माइल मूसा और उनके मित्र आये। डॉक्टर देवसे मिलनेके लिए आज एक समारोहका आयोजन किया था। प्रोफेसर आनन्दशंकर[३] आदि आये थे।
- ↑ १. एक सामाजिक कार्यकर्त्री; विधागौरी नीलकण्ठकी बहन, देखिए “भाषण: भारतीय महिला विश्वविद्यालयपर”, २३-२-१९१६।
- ↑ २. एक सक्रिय राजनैतिक कार्यकर्ता; ‘नवजीवन’ के प्रारम्भकर्ता। गांधीजीने, बादमें, इसे अपने हाथ में ले लिया था।
- ↑ ३. प्रोफेसर आनन्दशंकर बापुभाई ध्रुव (१८६९-१९४२) संस्कृतके विद्वान् और साहित्यकार; उप-कुलपति, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (१९२०-१९३७)।