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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
अक्तूबर १७, रविवार
- माडगांवकर आये। सन्तोक राजकोट गई। व्रजलालका छोटाभाई आज यहाँ रहा।
अक्तूबर १९, मंगलवार
- दयालजी और उनके विद्यार्थी सूरतसे आये।
अक्तूबर २२, शुक्रवार
- मणिलाल पालनपुरसे वापस आया। लड़के सरखेज गये।
अक्तूबर २३, शनिवार
- व्रजलाल आया।
अक्तूबर २४, रविवार
- दयालजी और उनके विद्यार्थी गये।
अक्तूबर २५, सोमवार
- रेवाशंकर आया।
अक्तूबर २६, मंगलवार
- विट्ठलजी दवे और उनके पुत्र आये।
अक्तूबर २७, बुधवार
- शामको ५―३० बजेकी गाड़ीसे मगनलाल, सन्तोक, राधा, रुखी, व्रजलाल, फकीरी और मैं बम्बई जानेके लिए रवाना हुए।
अक्तूबर २८, बृहस्पतिवार
- मगनलाल आदि मद्रास जानेके लिए रवाना हुए। एम्पायरमें[१] भाषण।
अक्तूबर २९, शुक्रवार
- अहमदाबाद वापस आया। कल रात कपोल [से] एक लड़का और जगजीवनदास मेहता आये। कल रात ही वापस चले गये।
अक्तूबर ३०, शनिवार
- दयालजी, उनकी माँ और उनके मित्र आये। बड़ौदाके पांडुरंग नामक एक विद्यार्थीने आश्रम में दाखिल होनेकी तीव्र इच्छा प्रगट की। रातको रहा।
अक्तूबर ३१, रविवार
- पांडुरंग गया और सबसे मिलनेके बाद वापस आनेके लिए कह गया। वर्धासे जमनालाल [बजाज] तथा डॉक्टर बेन्जामिन मिलनेके लिए आये।
नवम्बर १, सोमवार
- दयालजी सवेरे रवाना हुए।
- ↑ १. देखिए “भाषण: भारतीय गिरमिटिया मजदूरोंके सम्बन्ध”, २८-१०-१९१५।