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डायरी: १९१५
अगस्त २६, बृहस्पतिवार
- जमना गया।
अगस्त २८, शनिवार
- मिस्त्रीने काम आरम्भ किया। तीस दिनके लिए ४५ रुपये पगार देना तय किया।
अगस्त ३०, सोमवार
- छगनलाल का पत्र और हुंडी आये।
अगस्त ३१, मंगलवार
- सुन्दरम्का बुखार नहीं उतरता।
- रामदासकी दुर्बलता भी चिन्ताका कारण है।
सितम्बर ४, शनिवार
- दादाभाई जयन्ती। प्रेमाभाई हॉलमें भाषण। व्रजलाल और हीरजी चावडा आये। कृष्ण-स्वामीको उसकी माँकी बीमारीके सम्बन्धमें तार । अन्ना और मामा बड़ौदा गये।
सितम्बर ५, रविवार
- कृष्णस्वामी मद्रास गया।
सितम्बर ६, सोमवार
- अन्ना और मामा आये।
सितम्बर ७, मंगलवार
- त्रम्बकलाल और हरिलाल वापस आये।
सितम्बर ९, बृहस्पतिवार
- हाईकोर्टके वकील अमृतलाल आये।
सितम्बर १०, शुक्रवार
- करीमभाई पालनपुरसे वापस आये।
सितम्बर ११, शनिवार
- दूदाभाई[१] बम्बईसे आये। बहुत झगड़ा हुआ। सन्तोकने खाना नहीं खाया, इसी कार मैंने भी भोजन नहीं किया। ब्रजलालने बीड़ी पी इससे उपवास आरम्भ किया।
सितम्बर १२, रविवार
- श्री प्रैट और अडवानी मुलाकातके लिए आये। भाईचन्दजीको देखने गया। नागजी स्वामीसे मिला। सर चीनुभाईसे[२] भेंट की। मुझपर उपवासका खासा असर हुआ है।