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डायरी: १९१५

जुलाई ५, सोमवार

अमृतलाल ठक्कर आये। मगनभाई आये। रमणभाई आश्रम देखनेके लिए आये। हरिलाल, मूलचन्द तथा त्रम्बकलालने पढ़ाना शुरू किया।

जुलाई ६, मंगलवार

नारणदास रातको आया।

जुलाई ७, बुधवार

बिहारवाले स्वामी आये। गुरुकुलके चन्द्रमणि आये। मगनलाल वीरमगाँव गया और वापस आया। अमृतलाल ठक्कर गये। मणिलाल गया।

जुलाई ९, शुक्रवार

पूना जानेके लिए निकला। हाथीभाई गये। नारणदास साथ आया।

जुलाई १०, शनिवार

पूना पहुँचा। सम्मेलन[१] आरम्भ हुआ।

जुलाई ११, रविवार

सवेरे और दोपहरको श्री तिलकसे मिला।[२] अखंडानन्द तथा दयालजीके साथ अनेक विषयोंपर बातचीत।

जुलाई १२, सोमवार

अनाथ विद्यार्थियोंके आश्रमको देखने गया। पूनासे प्रस्थान।
भाजेकरके साथ बातचीत। भाई शंकर आश्रममें आये।

जुलाई १३, मंगलवार

अहमदाबाद पहुँचा। नागजी स्वामीसे मुलाकात।

जुलाई १४, बुधवार

नागजी स्वामी आश्रममें रहनेके लिए आये। सवेरे व्याख्यान दिया।

जुलाई १५, बृहस्पतिवार

नागजी स्वामी गये। श्री प्रेटसे[३] मिलने गया। बहुत बातचीत हुई। सहायता करनेका वचन दिया।

जुलाई १६, शुक्रवार

भाई शंकर व्यसनोंके कारण बीमार पड़ गये हैं।
 
  1. १. बम्बई प्रान्तीय सम्मेलन, पूना। देखिए “भाषण: १५ वॅ बम्बई प्रान्तीय सम्मेलन, पूनामें”, ११-७-१९१५।
  2. २. देखिए “पत्र: बा० गं० तिलकको”, २७-७-१९१५।
  3. ३. कमिश्नर, उत्तरी क्षेत्र।