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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मई १३, बृहस्पतिवार

सेठसे २०० रुपये लेकर मगनलालको भेजे। उसको आनेका तार दिया। सेठकी इच्छासे एक दिन और रुका। डॉक्टर माधवलालसे मुलाकात हुई।

मई १४, शुक्रवार

अहमदाबादसे प्रस्थान।

मई १५, शनिवार

राजकोट आया। रणछोड़भाईसे मुलाकात।

मई १६, रविवार

राजकोटमें बिताया।

मई १७, सोमवार

भाभी, शामलदास, गोकुलदास तथा माणिकलाल आये। पंडितसे मिला।

मई १८, मंगलवार

शामलदास तथा गंगाभाभीने मुखतारनामेपर हस्ताक्षर किये। मगनलालको तथा लीमड़ी तार किया।

मई १९, बुधवार

लीमड़ी पहुँचा। शामलदास साथ है। सन्तोक और लड़कियाँ भी।[१] सवेरे ठाकुर साहबसे भेंट की। जुलूस निकला। शामको तथा दोपहरको ठाकुर साहबके साथ शिक्षा आदिके सम्बन्धमें लम्बी बातचीत हुई।

मई २०, बृहस्पतिवार

सुबहको अहमदाबाद पहुँचा। सामान मँगाया। नये घरमें कलश रखा और विधिपूर्वक गृहप्रवेश किया।

मई २१, शुक्रवार

नानालाल कवि[२] और अन्य मिलने आये। फेफड़ोंके बाहरी भागपर बहुत सूजन आ गई है।

मई २२, शनिवार

सूजन कम है। नये घर गया। लड़कोंके रवाना होनेका तार मिला। कुँजरूको तार किया।

मई २३, रविवार

मगनलाल आदि आये।

मई २४, सोमवार

शामलदास, शान्ति, रणछोड़ और काकु राजकोट गये।

मई २५, मंगलवार

शालाका कुछ काम आरम्भ किया। डॉक्टर महादेवप्रसाद तथा भोगीलाल कंथारियाको पढ़ाना शुरू किया।
 
  1. १. देखिए “पत्र: नारणदास गांधीको”, १९-५-१९१५।
  2. २. नानालाल दलपतराम पटेल (१८७७-१९४६); गुजरात के एक प्रसिद्ध कवि।