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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फरवरी २२, सोमवार

दोपहरके समय कल्याण पहुँचा। श्री कोलसे मिला। रातको पूना पहुँचा। [सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटीके] सदस्योंसे थोड़ी बातचीत।

फरवरी २३, मंगलवार

सदस्यों के साथ लम्बी बातचीत। महात्माजी, रणछोड़भाई आदिको पत्र लिखे।

फरवरी २५, बृहस्पतिवार

शिन्देके साथ भंगियोंके बारेमें बातचीत।

फरवरी २६, शुक्रवार

उसी विषयपर सदस्योंके साथ वार्ता।

फरवरी २७, शनिवार

मराठी पढ़ना शुरू किया। भंगियोंके प्रश्नके सम्बन्धमें छानबीन।

फरवरी २८, रविवार

नदीमें तिलांजलि दी।[१] मगनलाल बम्बई गया।

मार्च ३, बुधवार, चैत्र वदी २

पूनामें सार्वजनिक सभा। गवर्नर अध्यक्ष प्रथम प्रस्ताव[२]मैंने रखा। रातकी गाड़ीसे बम्बई रवाना।

मार्च ४, बृहस्पतिवार

सवेरे बम्बई पहुँचा। जहाँगीर पेटिट तथा नरोत्तमदाससे मिला। बम्बईसे रातको निकला। तापीदास, मूलजी तथा उनकी पत्नी साथ आये।

मार्च ५, शुक्रवार

रास्तेमें फकीरी बीमार।

मार्च ६, शनिवार

शान्तिनिकेतन पहुँचा। गुरुदेवसे मुलाकात।

मार्च ७, रविवार

ऐन्ड्रयूजके साथ गुरुदेवके घर गया। हरिलालके साथ बातचीत हुई। गुरुदेवने व्याख्यान दिया।

मार्च ८, सोमवार

गुरुदेव कलकत्ते गये। ऐन्ड्रयूजके साथ उनके व्यवहारके सम्बन्ध में बातचीत हुई। रातको शिक्षकोंसे मिला। शिक्षणके विषयमें चर्चा की।
 
  1. १. देखिए आत्मकथा, भाग ५, अध्याय ६, (द्वितीय आवृत्ति)।
  2. २. देखिए “भाषण: गोखलेके निधनपर आयोजित शोकसभामें”, ३-३ १९१५।