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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

श्री गांधी के साथ उनकी पत्नी और भारत सेवक समाज (सवॅट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) के एक सदस्य श्री चिन्तामन सखाराम देवले भी थे।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एब्सट्रैक्ट्स, १९१५, पृष्ठ ३१६
 

१३७. भाषण: गोंडलकी सभामें[१]

दिसम्बर ४, १९१५

गोखले ऐसे महान् पुरुष हुए हैं कि उनकी मृत्युपर भारतके ३३ करोड़ लोग शोक मना रहे हैं। मृत्युके समयतक उनके मनमें देश-सेवाका ही विचार व्याप्त था और ‘सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ उनका प्राण थी। अन्य लोगोंकी अपेक्षा में स्वर्गीय गोखलेके सम्पर्कमें अधिक आया हूँ। इसलिए मैं यह देख पाया हूँ कि वे एक बुद्धिमान व्यक्ति थे। वे जीना और मरना, दोनों ही बातें, जानते थे।

[गुजरातीसे]
प्रजाबन्धु, १२-१२-१९१५
 

१३८. भाषण: जैतपुरमें[२]गोखले-स्मारक-कोषके लिए

दिसम्बर ५, १९१५

हम यहाँ चन्दा लेनेके लिए ही नहीं आये हैं। यदि आपको स्वर्गीय गोखलेके जीवन-कार्यसे ऐसा लगे कि उन्होंने देश-सेवा की थी, इसलिए उनके स्मारकके लिए खोले गये कोषमें आपको कुछ देना चाहिए तो उसी हालतमें आप इस कोषमें कुछ रकम दें। रकम बादमें भी भेजी जा सकती है। हम यह नहीं चाहते कि आप संकोचमें आकर रुपया दें; आपकी इच्छा हो तभी दें।

[गुजरातीसे]
काठियावाड़ टाइम्स, ८-१२-१९१५
 
  1. १. यह सभा गोखले-स्मारक-फोषके लिए चन्दा इकट्ठा करनेके लिए की गई थी। इसकी अध्यक्षता रियासतके दीवानने की
  2. २. सौरराष्ट्रका एक शहर