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१३५. गिरमिट या गुलामी?[१]

सत्याग्रह आश्रम
अहमदाबाद

‘गिरमिट’ शब्द अंग्रेजीके ‘ऐग्रीमेंट’ शब्दका अपभ्रंश है। यह शब्द भाषामें निकाला नहीं जा सकता। ‘गिरमिट’ शब्दसे से जो अर्थ प्रकट होता है वह ‘ऐग्रीमेंट’ नहीं जा सकता। दूसरा शब्द भाषामें है ही नहीं। जिस दस्तावेजमें दस्तखत करके हजारों मजदूर भारतसे बाहर नेटाल आदि देशोंमें पाँच वर्षका करार करके जाते थे या अब जाते हैं, वह दस्तावेज मजदूरों और उनके मालिकोंमें गिरमिटके नामसे प्रसिद्ध है। इस गिरमिटके अन्तर्गत जानेवाले मजदूरोंका नाम गिरमिटिया है। हर साल भारतसे लगभग ऐसे १२,००० गिरमिटिये जाते हैं और वे मुख्यतः आस्ट्रेलियाके पास स्थित फिजी द्वीपमें या दक्षिण अमेरिकाके समीपके जमैका द्वीपमें या ब्रिटिश गायना, डच गायना और ट्रिनीडाडमें जाते हैं।

इस गिरमिटकी स्थितिको स्वर्गीय गोखलेने लगभग गुलामीकी हालत माना है; प्रख्यात इतिहासकार स्वर्गीय सर विलियम हंटरने भी इसका ऐसा ही वर्णन किया है और नेटालके एक भूतपूर्व मन्त्री श्री हैरी एस्कम्बने भी इसको ऐसी ही उपमा दी थी। गिरमिट आधी गुलामी है, यह ठीक है। जैसे गुलाम पैसा देनेपर भी गुलामीसे छूट नहीं सकता, वैसे ही गिरमिटिये भी गिरमिटसे नहीं छूट सकते। यदि गुलाम काम नहीं करता तो उसे सजा दी जाती है। गिरमिटिया भी काम नहीं करता तो सजा पाता है। वह लापरवाही करता है, एक दिन कामपर नहीं जाता या ढिठाई करता है तो इनमें से किसी भी जुर्ममें उसे कैद काटनी पड़ती है। जैसे गुलामको एक मालिक दूसरेको बेच सकता है वैसे ही गिरमिटियेको भी एक मालिकके पाससे दूसरेके पास भेजा जा सकता है। जैसे गुलामके बाल-बच्चोंपर गुलामीका दाग लगता है वैसे ही गिरमिटियोंके बाल-बच्चोंपर भी उनके लिए खास तौरसे बनाये गये कानून लागू होते हैं। दोनोंकी हालतोंमें केवल इतना ही अन्तर है कि गुलामीकी हालत जिन्दगी-भर रहती है; किन्तु गिरमिटिये निश्चित अवधिके बाद छूट सकते हैं। विशेषतः यह स्मरण रखने योग्य है कि गिरमिटकी प्रथा गुलामी खत्म होनेपर उत्पन्न हुई और गुलामोंकी जगह गिरमिटिये भरती किये जाने लगे।

गिरमिटियोंके सम्बन्धमें यह सिद्ध हुआ है कि वे जिस देशमें जाते हैं वहाँ उन्हें नीति या धर्मकी शिक्षा नहीं दी जाती। वे प्रायः अविवाहित रहते हैं। गिरमिटियोंके प्रत्येक जहाजमें ४० प्रतिशत स्त्रियाँ ले जानेका नियम है। इन स्त्रियोंमें से कुछ चरित्रहीन होती हैं। ये प्रायः पुरुषोंसे विवाह नहीं करतीं। उनमें से २० प्रतिशत करना भी चाहें तो भी विवाह नहीं कर सकतीं। वहाँ ऐसी स्थिति होती है। ये लोग विदेशों में जाकर

  1. १. यह देख समालोचक में प्रकाशित हुआ था।