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एक पत्रका अंश

धार्मिक अनुभूतिके क्षेत्रमें वे उनसे कहीं आगे थे। मृतात्माको निष्ठा बड़ी दिव्य थी; ऐसी निष्ठा सच्चे अर्थ में आत्माके साक्षात्कारसे ही उद्भूत हो सकती है। उन्होंने मेरे जीवनपर बड़ा गहरा प्रभाव डाला है। उनकी कृतियाँ बहुत उपयोगी और प्रामाणिक हैं और उनमें उदात भावना व्याप्त है। इन गुणोंके कारण उनमें एक ऐसी विलक्षणता आ गई है जिससे पाठकोंपर उनका प्रभाव पड़ता है।

श्री गांधीने भाषण समाप्त करते हुए आशा प्रकट की कि समारोहमें उपस्थित सभी लोग दिवंगत महात्माकी कृतियोंका अध्ययन करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके अव्यय से लोगोंको कष्टोंके बीच एक राहत महसूस होगी।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २३-११-१९१५
 

१३३. एक पत्रका अंश[१]

[नवम्बर २६, १९१५ से पूर्व]

आश्रमका कामकाज तेजीसे चल रहा है। इस समय आश्रममें कुल ३३ लोग रहते हैं, जिनमें से तीन ढेड़ हैं। ढेड़ोंको लेकर परिस्थिति गम्भीर हो गई है। अहमदाबाद सनातन धर्मका सुदृढ़ केन्द्र माना जाता है। इसलिए यहाँ इस प्रश्नको लेकर बड़ी चर्चा हुई है। आरम्भमें तो ऐसा लगता था कि पूरे आश्रमका जातीय बहिष्कार कर दिया जायेगा; और यह सम्भावना अभीतक बनी हुई है। छात्रोंने संस्कृत, हिन्दी और तमिल भाषाओंके अध्ययनमें अच्छी प्रगति की है। उन्हें बढ़ईगिरीका काम और करघेपर कपड़ा बुननेका काम सिखाया जाता है। दो बढ़ई आश्रममें रख लिये गये हैं। हम कुछ ही दिनोंमें करघेपर अपने हाथोंसे बुना कपड़ा आपको भेजेंगे। लड़कोंने मेज आदि दूसरी चीजें भी बनाई हैं। अब वे पुस्तकें रखनेके लिए अलमारियाँ बना रहे हैं।

[गुजरातीसे]
प्रजाबन्धु, २६-१२-१९१५
 
  1. १. फीनिक्स में प्राप्त गांधीजीका यह पत्र आंशिक रूपमें २६-११-१९१५ के इंडियन ओपिनियन में छापा गया था और वहाँसे प्रजाबन्धु में उद्धृत किया गया था।