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१३१. भाषण: फीरोजशाह मेहताके निधनपर[१]

नवम्बर १५, १९१५

इस प्रस्तावको प्रस्तुत करनेका काम मुझे सौंपा गया है। इससे मुझे सर फीरोजशाहके सम्बन्धमें अपने भाव प्रकट करनेका अवसर मिला है। सर फीरोजशाह बम्बई नगर-निगममें दहाड़नेवाले सिंह थे; और मुझे भी कई बार उनकी गर्जनाएँ सुननेके अवसर मिले हैं। सर जॉर्ज क्लार्क,[२] लॉर्ड हैरिस[३] और भारतके विभिन्न वाइसरायों और गवर्नरोंसे उन्होंने बहुत बार टक्करें ली थीं। ऐसे अग्रणी पुरुषके लिए समस्त देशमें शोक मनाया जाना कोई बड़ी बात नहीं है। किन्तु इस शोक प्रदर्शनमें हमारा स्वार्थ निहित है। वे जिस प्रकार जिये और जिस प्रकार मरे, उस प्रकार जीना और मरना हममें से कुछ अधिक लोग सीख जायें तो हमारे दुःख करने जैसी कोई बात नहीं है। कुछ दिन पहले भारत माननीय श्री गोखलेकी मृत्युपर रुदन कर रहा था। हम अपने उन आँसुओंको अभी पोंछ भी न पाये थे कि हमारे ऊपर यह दूसरा भीषण आघात हो गया। इन दोनों महान् पुरुषोंकी एक दूसरेसे तुलना करना ठीक नहीं है। दोनोंने ही अपना-अपना कार्य अपने-अपने बुद्धिबलके अनुसार कर दिखाया है। श्री गोखले एक आत्मत्यागी पुरुष थे, इसलिए वे ऋषि कहे जाने योग्य थे। सर फीरोजशाह के लिए दो विशेषणोंका प्रयोग किया जा सकता है――वे बम्बई नगर-निगमके पिता थे और दूसरे वे बम्बईके ही नहीं बल्कि स्वयं लोगों द्वारा चुने हुए भारतके छत्रहीन राजा थे। उन्होंने भारतके सभी सार्वजनिक मामलोंमें प्रमुख भाग लिया था, और उनमें लोगोंकी ऐसी अटल श्रद्धा थी कि वे जो भी कहते थे लोग वह सब करनेके लिए तैयार रहते थे। अकेले बम्बई नगरमें ही नहीं अपितु पूरे बम्बई इलाकेमें बुद्धि-बलके कारण उनके प्रति लोगोंका बहुत आदरभाव था। बम्बई इलाकेभरमें कोई उनके विरुद्ध खड़ा नहीं हो सकता था। यह कहनेमें तनिक भी अत्युक्ति नहीं है कि ऐसे सम जब भारतीय लोग महत्त्वपूर्ण राजनैतिक अधिकारोंकी आशा करते हैं, तब कोई ऐसा व्यक्ति नहीं रहा जो हमारी ओरसे सरकारसे बात करे। मैंने कहीं पढ़ा है कि जो व्यक्ति अपने मित्रके प्रति सच्चा प्रेम रखता है वह उसकी मृत्युके बाद उसे और भी अधिक चाहने लगता है। इसी प्रकार यदि सर फीरोजशाहके प्रति इस समय हमारा प्रेम उमड़ रहा है तो उसका कारण उनके गुण ही हैं। उनकी जीवितावस्थामें हमने उन्हें बहुत परेशान किया होगा और उनकी निन्दा-स्तुति भी की होगी; किन्तु अब

  1. १. यह शोकसभा माननीय सर चीनूभाईकी अध्यक्षता में प्रेमाभाई भवन, अहमदाबादमें की गई थी और गांधीजीने शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
  2. २. जॉर्ज क्लार्क (लॉर्ड सीडनहम) बम्बईके एक भूतपूर्व गवर्नर।
  3. ३. लॉर्ड हैरिस, बम्बईके भूतपूर्व गवर्नर और दक्षिण आफ्रिकाकी कंसोलिडेटेड गोल्डफील्डस कम्पनीके अध्यक्ष; देखिए, खण्ड ४, पृष्ठ ५५।