१३०. पत्र: मगनलाल गांधीको
[अहमदाबाद]
शनिवार [नवम्बर १३, १९१५][१]
चूँकि तुम पत्रोंपर पता गुजरातीमें लिखते हो, इसलिये वे ‘डेड लेटर ऑफिस’ से[२] होकर यहाँ आते हैं। यदि शहरका नाम अंग्रेजीमें लिख दिया करो तो पत्र समयपर पहुँच जायेंगे।
डॉक्टर देव,[३] इस समय यहीं हैं। उन्हें तुम्हारा पत्र बहुत देरसे मिला। वे यात्रापर थे। अब उन्होंने कहा है कि तुम नगीन बाबूको लिख दो कि उन्हें आना हो तो वे आनेके आठ-दस दिन पहले सूचित कर दें। घरका प्रबन्ध डॉ० देव कर लेंगे। क्या मणिलालको सूतपर माँड़ चढ़ानेमें कठिनाई होती हैं?
इस समय कोई नया काम नहीं चल रहा है। प्रभुदासने[४] बढ़ईगिरी सीखना छोड़ दिया है। मैं चाहता हूँ वह अपना अधिकसे-अधिक समय करघेपर लगाये। हाजी इस्माइल मूसा भी यहीं आ गये हैं। आज रात डॉ० देवके सम्मानार्थ सभा की गई थी। काफी लोग आये थे। आशा है तुमने अपना तमिलका अध्ययन जारी रखा होगा। मुझे तुम्हारे लिए डॉक्टरसे[५]छात्रवृत्तिं माँगनेकी आवश्यकता नहीं जान पड़ती। जमनादासका आना अभी तो रुक ही गया है। क्या श्री पेटिटको[६]लिखे गये पत्रकी नकल मैंने तुम्हें भेजी थी? यहाँ दो व्यक्ति नये हैं एक नारणदास पटेल और दूसरे बापूजी भगत। भगतके साथ उनका पौत्र भी है। दाना भी यहीं है। सब लोग अच्छी तरह काम कर रहे हैं। कृष्णस्वामी शर्मा आज आ गये हैं।
बापूके आशीर्वाद
भाई व्रजलालको कहना कि २५ रुपयेका मनीऑर्डर नहीं मिला है।
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५६८०) से।
सौजन्य: राधाबेन चौधरी
- ↑ १. डॉ० देवके सम्मानार्थ सभा, जिसका पत्रमें उल्लेख है, इसी तारीखको हुई थी।
- ↑ २. इस कार्यालय में अधूरे पतोंको ठीक करके पानेवालेको अथवा ठीक पता न लगनेपर प्रेषकके पास वापस भेजा जाता है।
- ↑ ३. भारत सेवक समाज (सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी), पूनाके मन्त्री।
- ↑ ४. छगनलाल गांधीके पुत्र।
- ↑ ५. डॉ० प्राणजीवन मेहता।
- ↑ ६. देखिए “पत्र: जे० बी० पेटिटको”, १६-६-१९१५।