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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

अब उत्तर देता हूँ।

रकमें निर्धारित करनेके बारेमें मैं वहाँके किसी आदमीसे सलाह नहीं कर सका, क्योंकि मैं वहाँ नहीं था। फीनिक्सके लिए निर्धारित की गई रकमके बारेमें वहाँ हमने आपसमें बातचीत की थी। सहायताके लिए निर्धारित रकमके बारेमें किसीसे सलाह करनेकी जरूरत न थी, वलिअम्मा-भवनके लिए निर्धारित रकमकी बात वहाँ तय हो गई थी। यह तो वहाँ तय हो चुका था कि यदि पोलकको निर्धन अवस्थामें इंग्लैंड वापस जाना पड़े तो उसे खर्चके लिए १,००० पौंड दे देने चाहिए। किन्तु मैं यह नहीं कह सकता कि इसपर निश्चित रूपसे चर्चा हुई थी या नहीं। मेरी राय तो यह है कि यह खर्च भी ऐसा है जिसके सम्बन्धमें सलाह करना मैं आवश्यक नहीं मानता। यदि भारतीय समाजमें कोई आत्म-सम्मानका भाव है तो वह इन लोगोंको भूखा-नंगा वापस नहीं भेज सकता। यह सहायता विशुद्ध सत्याग्रहकी सहायता है। मैं इसे हिसाबके कागज में प्रकाशित करने की बात स्वप्नमें भी नहीं सोचता। जिन सत्याग्रहियोंको सहायता दी गई है हम उनके नाम प्रकट करनेके लिए बाध्य नहीं हैं।

श्री पेटिटका वक्तव्य मुझसे सलाह लेनेके बाद प्रकाशित किया गया था। उनके कहनेसे मैंने अपना वक्तव्य देरसे निकाला। मैंने प्रत्येक रकम, जिसमें पोलक की १,००० पौंडकी रकम भी है, समितिको बता दी थी। तुमने और रुस्तमजीने जो असहमति प्रकट की है मैं श्री पेटिटका ध्यान उसकी ओर भी आकर्षित कर रहा हूँ।

तुम कहते हो कि तुम कोई ऐसा आर्थिक लाभ उठाना नहीं चाहते जो दोषयुक्त हो; और दी जाने पर सहायता स्वीकार नहीं करना चाहते हो। मैं तुम्हें बधाई देता हूँ। तुम जितने मजबूत रहो उतना अच्छा। मैंने जिन रकमोंको निर्धारित करनेका सुझाव दिया है उनका कारण हम सबकी कमजोरी है। किन्तु यदि तुम मजबूत हो तो मैं तुम्हें कमजोर नहीं करूँगा।

तुम कहते हो कि फीनिक्सके विकासके लिए रुपया कहीं दूसरी जगह से प्राप्त करके तुम्हारे पास भेजा जाना चाहिए। यह सम्भव नहीं । हमने जब वहाँ चर्चा की थी तब भी मनमें यह बात स्पष्ट थी कि यह रुपया सत्याग्रह-कोषमें से लिया जायेगा, क्योंकि हम फीनिक्स आश्रमको सत्याग्रही-फार्मके रूपमें चला रहे हैं और उसे उत्तरोत्तर संकटग्रस्त गिरमिटिया भारतीयोंका आश्रय-स्थान बनाना चाहते हैं, इसलिए यदि तुम्हें सहायता चाहिए तो यह केवल इस कोषसे ही दी जा सकती है।

यदि तुम यह निर्णय करो कि सहायता लेनी ही नहीं है तो मैं निश्चय ही उसका स्वागत करूँगा।

यह रुपया दक्षिण आफ्रिकाका नहीं है। उसपर यहाँकी समितिका नियन्त्रण है। उसने कहा कि जिन रकमोंको निर्धारित कर देनेके लिए कहूँ, उनके अतिरिक्त शेष रकम उसके खाते में स्थानान्तरित कर दी जानी चाहिए। मैं अब कोई खास रकम निर्धारित नहीं करा रहा हूँ, किन्तु तुम लोग जो वहाँ हो, जब-जब चाहोगे तब-तब मैं तुम्हारे लिए धन संग्रह कर दूंगा। इसके बाद निधिपर यहाँकी समितिका पूर्ण नियन्त्रण हो जाता है। मैं मध्यस्थका काम करूँगा।