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पत्र : जे० बी० पेटिटको

पंजीयन विधेयक मंजूर किया गया तभीसे यह संघर्ष प्रारम्भ हुआ था। साल-दरसाल अस्थायी समझौते होते रहे और संघर्ष चलता रहा, और इसमें एशियाई पंजीयन अधिनियमके अतिरिक्त कई दूसरी बातें शामिल होती गईं और उसका क्षेत्र [ केवल ट्रान्सवाल नहीं रहा ] समस्त दक्षिण आफ्रिका हो गया । [ स्थायी ] समझौतेके समय तक सत्याग्रहमें निम्नलिखित मुद्दे आ गये थे:

(१) एशियाई अधिनियम रद किया जाये।

(२) संघके कानूनमें से प्रवासके सम्बन्धमें प्रजातीय या रंग सम्बन्धी निर्योग्यता हटाई जाये।

(३) भारतीय पत्नियोंकी कानूनी निर्योग्यता दूर हो।

(४) तीन पौंडी वार्षिक व्यक्ति-कर, जो भूतपूर्व गिरमिटिया भारतीयोंको, उनकी पत्नियोंको और बड़े बच्चोंको देना ड़ता था, खत्म किया जाये।

(५) निहित अधिकारोंका उचित ध्यान रखते हुए वर्तमान कानूनोंका न्याययुक्त प्रशासन।

पिछले वर्षके समझौतेमें ये सब बातें आ गई हैं। इनके मान लिये जाने पर सत्याग्रहकी पूरी जीत मानी जा सकती है और मैं इतना कह सकता हूँ कि इससे अधिक इसलिए नहीं मिला है कि हमने इससे अधिक नहीं माँगा था और माँगा भी नहीं जा सकता था। क्योंकि यह सत्याग्रहका नियम ही है कि सत्याग्रहीको अपनी न्यून- तम और अधिकतम माँग स्थिर करनी होती है; और वह न उससे अधिक माँग सकता है और न उससे कम लेकर सन्तुष्ट हो सकता है।

किन्तु मेरे इस कथनका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि दक्षिण आफ्रिकामें अब और कुछ करनेको नहीं बचा या सब कुछ मिल गया है। हम केवल प्रवास सम्बन्धी कानूनी निर्योग्यताओंके निवारणके लिए लड़े हैं; किन्तु अमलमें उनका प्रभाव अन्य जातियोंकी अपेक्षा हम पर अधिक हुआ है। हमने प्रशासनिक असमानताको स्वीकार करते समय वर्तमान स्थितियों और पूर्वग्रहोंका उचित खयाल रखा है। हमने इसलिए संघर्ष किया कि ब्रिटिश संविधानके सिद्धान्त अक्षुण्ण रहें, ताकि आगे चलकर वे कभी- न-कभी यथासम्भव व्यवहारमें उतारे जा सकें । दक्षिण आफ्रिकामें अब भी कुछ कानून ऐसे हैं जो चिन्ताका कारण बने हुए उदाहरणार्थ १८८५का कानून ३ और केप और नेटालके व्यापारिक परवाना-कानून । प्रवासी कानूनका अमल बिलकुल जैसा चाहिए वैसा नहीं है। किन्तु इनके लिए सत्याग्रह [न तो ] किया गया [है] और न फिल- हाल किया ही जा सकता है। वह केवल उन कष्टोंसे सम्बन्धित रहा है जो सामान्यतः सभी भारतीयोंको उठाने पड़ते हैं जिनसे उनके आत्म-सम्मान या अन्तःकरणको ठेस लगती है। हमारे जिन कष्टोंका मैंने उल्लेख किया है किसी भी दिन उस [सत्याग्रह

१. प्रकाशित पत्रमें इन दोनों वाक्योंके स्थानपर निम्नलिखित वाक्य है: "हम केवल प्रवास सम्बन्धी कानूनी निर्योग्यताओंके निवारणके लिए लड़े हैं किन्तु अमलमें हमने वर्तमान परिस्थियों और पूर्वग्रहोंको ध्यान में रखा है।"

२. प्रकाशित पत्रमें से 'हमारा' शब्द हटा दिया गया है।

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