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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

१०. उन्हें यह स्वतन्त्रता उस आयुमें पहुँचनेपर दी जायेगी जब उन्हें माँ-बापकी या अन्य संरक्षकोंके सहारेकी आवश्यकता न रहेगी।

११. विद्यार्थियोंको ऐसा सामर्थ्य देनेका प्रयास पहले ही किया जायेगा जिससे उन्हें स्वतंत्र होने के समय कभी यह भय न रहे कि "मैं अपना गुजारा कैसे कर सकूँगा।

१२. बड़ी आयुके लोग भी विद्यार्थियोंके रूपमें प्रविष्ट हो सकेंगे। १३. विद्यार्थी प्रायः एक ही तरहकी और सादीसे सादी पोशाक पहनेंगे।

१४. भोजन सादा रखा जायेगा, लाल मिर्चोंका प्रयोग बिलकुल नहीं किया जायेगा और नमक, काली मिर्च और हल्दी के अतिरिक्त अन्य मसाले सामान्यतः काममें नहीं लाये जायेंगे। दूध, घी और दूधसे बननेवाले पदार्थ ब्रह्मचर्यमें बाधक हैं, दूधसे प्राय: क्षय आदि रोग होते हैं और उसमें मांस आदि पदार्थोंके समस्त गुण विशेष रूपसे होते हैं, इसलिए इन पदार्थोंका उपयोग बहुत कम किया जायेगा। भोजन तीन बार दिया जायेगा। उसमें सूखे और ताजे फलोंका उपयोग विशेष होगा। सब आश्रम- वासियोंको आरोग्य-शास्त्रका सामान्य ज्ञान कराया जायेगा।

१५. आश्रममें छुट्टियाँ नहीं होंगी; किन्तु हफ्तेमें डेढ़ दिन कार्यक्रम परिवर्तित कर दिया जायेगा और इस प्रकार प्रत्येक व्यक्तिको व्यक्तिगत कार्य करनेके लिए कुछ समय मिल जायेगा।

१६. सब लोगोंको अपनी-अपनी शारीरिक क्षमताके अनुसार वर्ष में कमसे कम तीन महीने देशमें प्रायः पैदल यात्रा करनी होगी।

१७. विद्यार्थियों या उम्मीदवारोंसे कोई मासिक व्यय लेनेका नियम नहीं रखा है। किन्तु जिनके माँ-बाप समर्थ हों या जो स्वयं समर्थ हों उनसे जो कुछ वे दे सकेंगे उतना देनेकी अपेक्षा की जायेगी।

विविध

आश्रमकी व्यवस्था व्यवस्थापक मण्डलके हाथोंमें रहेगी। आश्रममें किसे प्रविष्ट किया जाये और किस वर्ग में किया जाये, यह तय करनेका अधिकार मुख्य व्यवस्थापकको होगा। आश्रमका खर्च मुख्य व्यवस्थापकको प्राप्त धनसे तथा आश्रमपर थोड़ी-बहुत श्रद्धा रखनेवाले मित्रोंसे प्राप्त होनेवाली सहायतासे चलता है।

फिलहाल आश्रम अहमदाबादमें साबरमती नदीके किनारेपर स्थित दो मकानों में चल रहा है। ये मकान एलिसब्रिजके आगे सरखेजके रास्तेपर पड़ते हैं।

आशा है कि कुछ मासमें ही अहमदाबादके पास २५० एकड़ भूमि मिल जायेगी और तब आश्रम वहाँ चला जायेगा।

प्रार्थना

मुलाकातके लिए आश्रममें आनेवाले सज्जनोंसे प्रार्थना है कि वे भी जबतक आश्रम में रहें तबतक आश्रमके नियमोंका पालन करें। उनका आतिथ्य भली-भाँति करनेका प्रयत्न किया जायेगा । यथासम्भव कम चीजें रखना आश्रमका नियम है। इसलिए यहाँ आनेवाले सज्जन यदि अपने साथ अपनी रजाई, चादर, लोटा, थाली और कटोरी लेते आयेंगे तो कृपा होगी ।