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पत्र: जी० ए० नटेसनको

उस प्राचीन सभ्यताको अपनाना है जो इतने आघातोंके बावजूद जीवित है? आपको और हमको राजनीतिके मंचपर आध्यात्मिक दृष्टि रखकर काम करना है। और यदि हम यह कर सकें तो हम विजेताओंको जीत लेंगे। नया प्रभात उस दिन होगा जब हम अंग्रेजोंको अपना साथी, अपने देशका नागरिक मान सकेंगे। (हर्ष-ध्वनि) वह दिन जल्दी ही आयेगा। किन्तु कब आयेगा इसका अन्दाज लगाना है। मुझे कई सच्चरित्र, निष्ठा- वान्, कुलीन और प्रभावशाली अंग्रेजोंसे मिलने-जुलनेके अपूर्व अवसर मिलते रहे हैं। मैं आपको विश्वास दिला सकता हूँ कि आपाधापीकी वर्तमान स्थिति बीत रही है और जल्दी ही एक नवीन सभ्यताका आगमन होनेवाला है। वह आजकी सभ्यतासे बढ़कर होगी। भारत एक महान् आश्रित राज्य है और मैसूर एक बड़ी देशी रियासत है। आपको ब्रिटिश शासकों और ब्रिटिश राजनीतिज्ञोंके पास जो सन्देश पहुँचाना है वह सन्देश है राम-राज्यका । मैसूरमें एक राम-राज्य स्थापित कीजिए और आपका मन्त्री वशिष्ठ जैसा हो, सब जिसकी आज्ञा शिरोधार्य करें। (देर तक तालियाँ) मेरे साथी देशवासियो, तभी आप विजेताओंसे अपनी बात मनवा सकेंगे। (देर तक तालियाँ)।

[अंग्रेजीसे]

इंडियन रिव्यू, मई १९१५

महात्मा गांधी : हिज लाइफ, राइटिंग्ज ऐंड स्पीचेज


७९. पत्र: जी० ए० नटेसनको

बम्बई

मई १०, १९१५

प्रिय श्री नटेसन,

आपने मेरे प्रति जो असाधारण प्रेम दिखाया है उसके लिए मैं आपको कैसे धन्य- वाद दूं ? " चूंकि आपने यह सब देशके लिए किया था, इसलिए मैंने इसे स्वीकार कर लिया। मैं इसका पात्र बननेका प्रयत्न करूंगा। हाँ, मद्रासके प्रति मेरे मनमें पक्षपात तो है ही।

हमें यहाँ पहुँचनेमें कोई खास असुविधा नहीं हुई। चूँकि सभाके खास-खास लोग इस समय बम्बईमें नहीं हैं, इसलिए मैं आज रातको अहमदाबाद चला जाऊँगा । लगता है, सुन्दरम्का विकास ठीक हो रहा है। नायकर तो हीरा है ही। हमारे वयोवृद्ध मित्र* बिलकुल ठीक हैं। और मेरी पत्नी तो आपके सिवा दूसरी बात नहीं कर पाती ।


१. गांधीजीकी मद्रास यात्रामें ।

२. और ३. सत्याग्रह आश्रमके सदस्य, देखिए अगला शीर्षक ।

४. रेवाशंकर झवेरीके बड़े भाई; देखिए "पत्र : नारणदास गांधीको”, २५-४-१९१५ ।