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७८. बंगलौरके नागरिकोंको उत्तर

मई ८, १९१५

सभापति महोदय और मित्रो,

मैं सोचता हूँ कि यदि मैं अपनी और अपनी पत्नीकी ओरसे, आपने हमारा जो अपूर्व सम्मान किया है उसके लिए आपको हृदयसे धन्यवाद दूं, तो शायद वह केवल धृष्टता ही होगी। मेरे पास धन्यवादके लिए उपयुक्त शब्द नहीं हैं और एक विचार तो मुझे और भी त्रस्त कर रहा है। मैं सोच रहा हूँ, क्या मैं या हम इस सम्मानके योग्य हैं ? क्या हम इस प्राच्य उदारतापूर्ण प्रेमके अधिकारी हैं ? अध्यक्ष महोदयने इस प्रेम प्रकाशनका कारण बताया है और श्री गोखलेका हवाला दिया है। उस कीर्तिका मुझे बहुत लाभ मत उठाने दीजिए। आप तो मुझे केवल मेरे काम और मेरी कमियोंकी कसौटी पर कसिए । तभी आप मुझे जान सकेंगे। मेरा मार्ग बड़ा कठिन मार्ग है। उसमें फूल और काँटे दोनों बिछे हैं। उस सज्जन राजनयिक [गोखले] ने मेरे आसपास जो प्रकाश-मण्डल खींच दिया था, वह निःशेष हो चुका है। हाथ कंगनको आरसी क्या । इतने लोग यहाँ मेरे प्रति सम्मान प्रदर्शित करनेके लिए जमा हुए हैं। आज सुबह' आपने इससे भी बड़ा सम्मान प्रगट किया और स्वागत-समितिने इस उद्देश्यसे हमारे वार्तालापकी व्यवस्था की कि मैं आपके सामने अपने दिलकी बातें रख सकूं और अपने देशवासियोंके साथ शान्तिपूर्ण वार्तालाप करके उनके गहनतम विचारोंको समझू; यह और भी बड़े सम्मानकी बात है।"

मुझे गाड़ीमें घुमाया गया; मैं यह नहीं चाहता था। उसका कारण है, हमें जनताके सेवकोंका आदर करके उनका दिमाग खराब नहीं करना चाहिए। उन्हें चुपचाप काम करने दीजिए। इस विचारको प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए कि काम करनेसे सम्मान होगा । सार्वजनिक कार्यकर्त्ताओंको यह अनुभव होने दीजिए कि [ कामके बावजूद ] उनका अपमान किया जायेगा, उनकी उपेक्षा की जायेगी; इतनेपर भी वे अपने 'देशसे प्रेम करें', क्योंकि सेवा ही मेवा है। हमारी जातिके विरुद्ध यह अभियोग लगाया गया है कि हम दिखावा बहुत पसन्द करते हैं और व्यावहारिक तरीकोंकी हममें कमी है। हम यह अभि- योग स्वीकार करते हैं। क्या हमें आधुनिक तरीकोंका अनुकरण करना है; अथवा हमें


१. एल्बर्ट विक्टरी कन्जवेंटरी, लाल बागमे।

२. नगरपालिका परिषद्के सभापति दीवान बहादुर पुत्तना चेट्टी; स्वागत भाषण भी आपने ही पढ़ा था।

३. गांधीजीके आगमनपर स्टेशनपर उनका बड़ा भव्य स्वागत किया गया था। इसके बाद उन्होंने श्री गोखलेके चित्रका भी अनवरण किया।

४. देखिए पिछला शीर्षक ।

५. यह अनुच्छेद गणेश ऐंड कं० द्वारा प्रकाशित महात्मा गांधी : हिज़ लाइफ, राइटिंग्ज़ एंड स्पीचेज़से लिया है।