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पत्र: गवर्नर-जनरलके निजी सचिवको


कि जहाँतक ट्रान्सवालका सम्बन्ध है, प्रवासी कानूनमें से जाति-भेद हटा देना चाहिए। इससे कोई विरोध उत्पन्न नहीं होगा; और कहा कि १९०७ का अपमानजनक एशियाई कानून भी रद कर दिया जाना चाहिए।

यह स्पष्ट है कि यदि श्री फिशरका विधेयक कानून बन गया तो भारतीय उसकी व्यवस्थाओंका विरोध करनेके लिए कृत-संकल्प हैं। उन्होंने श्री गोखलेको, जो लन्दन में है, पहलेसे ही सूचना दे दी है ताकि वे साम्राज्य-सरकारके सामने स्थितिको स्पष्ट कर सकें।

भारतीयों और सरकारके बीच सम्बन्धों में तनावकी स्थिति [उपनिवेशमें] उत्तरदायी सरकारको स्थापनाके तुरन्त बाद ही उत्पन्न हुई और सत्याग्रह आन्दोलन १९०६ से लेकर १९१० में जनरल स्मट्स के साथ समझौता होने तक जारी रहा।

[अंग्रेजीसे]
स्टार, २८-४-१९१३

४२. पत्र : गवर्नर-जनरलके निजी सचिवको

जोहानिसबर्ग
अप्रैल ३०, १९१३

परमश्रेष्ठ गवर्नर जनरल महोदयके
निजी सचिव,
केपटाउन
महोदय,

इस पत्रके साथ मैं उस प्रस्तावकी[१] तीन-तीन प्रतियाँ आपकी सेवामें भेज रहा हूँ जो गत माहकी २७ तारीखको फ्रीडडॉप में सम्पन्न ब्रिटिश भारतीयोंकी आम सभामें सर्वसम्मतिसे पास किया गया था। यह सभा मेरे संघके तत्त्वावधान में हुई थी। परम श्रेष्ठसे अनुरोध है कि वे इस प्रस्ताव और सभामें दिये गये अध्यक्षके भाषणकी[२] जो प्रतियाँ इसके साथ भेजी जा रही है, माननीय उपनिवेश-मन्त्री और माननीय भारत-मन्त्रीको प्रेषित करनेकी कृपा करें।

आपका
अ० मु० काछलिया
अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल आफिस रेकर्ड्स : ५५१/३९
  1. १. देखिए भाषण : फ्रीडडॉप में", पृष्ठ ५१-५२ ।
  2. २.देखिए परिशिष्ट ४ ।