पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/८९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

४० तारः लॉर्ड ऍम्टहिलको[१]

[जोहानिसबर्ग
अप्रैल २७, १९१३ के बाद]

श्री गोखलेका सुझाव है कि विधेयक-सम्बन्धी आपत्तियाँ आपको तार द्वारा सूचित कर दूं। आपत्तियाँ इस प्रकार है: विधेयक समझौतेके खिलाफ बैठता है। वर्तमान अधिकारोंकी बदलता है। अकल्पित निर्योग्यताएँ लादता हैऔर सर्वोच्च न्यायालयकी सत्ताके स्थानपर ऐसे निकायोंको आरूढ़ करता है जिनके सदस्य प्रतिवर्ष हटाये जा सकते है और जिनके हाथमें अधिवासके मामलोंको छोड़कर पूरी सत्ता रहेगी। यह शिक्षित भारतीयोंको, ट्रान्सवालसे केप या नेटालमें प्रविष्ट होनेके लिए शैक्षणिक परीक्षाके आधारपर प्राप्त वर्तमान अधिकारोंसे वंचित करता है। यद्यपि समझौतेके अनुसार सामान्य विधेयकके अन्तर्गत नये शिक्षित भारतीयोंको प्रवासके सम्बन्धमें दूसरोंकी तरह पूरे अधिकार प्राप्त होने चाहिए, तथापि इस विधेयकका मंशा फ्री स्टेटमें उनका प्रवेश निषिद्ध करवा देना है। चाहे जिस बन्दरगाहसे होकर प्रवेश करनेके वर्तमान अधिकारको किसी एक निर्धारित बन्दरगाहसे प्रवेश तक सीमित करता है। एक लम्बे अरसेसे रहते चले आनेवाले नेटाली भारतीयोंको अधिवास-सम्बन्धी उन अधिकारोंसे जो अबतक वे भोग रहे थे, केपके कानूनके कठोरतम खण्डका प्रयोग करके वंचित करता है। यह विधेयक वर्तमान वैधानिक स्थितिके विपरीत है। नेटाल, ट्रान्सवालके उन भारतीयोंको, जो अपने-अपने प्रान्तोंसे तीन वर्षसे अधिक कालके लिए अनुपस्थित रहे हों, निषिद्ध प्रवासी करार देता है। दक्षिण आफ्रिकामें पैदा हुए भारतीयोंके केपमें प्रवेश करनेके अधिकारको छीनता है। हालका फैसला जमे हुए दस्तूरके खिलाफ बैठता है। ईसाई प्रथाके अनुसा न किये गये या विवाह-अधिकारियोंके समक्ष किये जानेवाले विवाहोंको- चाहे ये विवाह भारतमें हुए हों चाहे यहाँ-- अवैध ठहराता है। प्रकार अधिकांश धर्मपत्नियोंको रखैलोंकी श्रेणीमें है। इस विधेयकका उन शिक्षित भारतीयोंको, जो वर्तमान शैक्षणिक परीक्षा पास करनेके बाद आये थे, यदि वे अन्यथा अधिवासी नहीं हैं तो, पुन: प्रवेशके अधिकारसे वंचित करना है। यद्यपि यह विधेयक सत्याग्रहियोंकी मांगें पूरी करनेके इरादेसे खास तौरपर गढ़ा गया है तथापि यदि यह विधेयक

  1. १. मसविदेपर लॉर्ड ऍटहिलका नाम नहीं है। परन्तु लगता है, यह तार उन्हींको भेजा गया था।