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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


विधेयक दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजके सम्मान, धार्मिक भावना और समाजके अस्तित्वपर कुठाराघात करता है, अत: यह सभा गम्भीरतापूर्वक संकल्प करती है कि यदि सरकार प्रार्थना स्वीकार नहीं करती तो सत्याग्रह, जो १९११ से अबतक बन्द रहा था, फिर शुरू किया जायेगा और तबतक जारी रहेगा जबतक सत्याग्रहियोंके कष्टसहनसे सरकार और दक्षिण आफ्रिकाके यूरोपीयोंको [भारतीय] समाजकी ईमानदारी का, और परिणाम- स्वरूप राहत देने की जरूरतका, अनुभव नहीं हो जाता।

[ अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३-५-१९१३

३९. तार : ड्रमंड चैपलिन तथा अन्य लोगोंको

[जोहानिसबर्ग
अप्रैल २७, १९१३ के बाद][१]

ड्रमंड चैपलिन
माननीय मेरीमैन
सर टॉमस स्मार्ट
मॉरिस एलेक्जेंडर
थियो श्राइनर
केपटाउन

प्रवासी विधेयकके विरुद्ध लगभग प्रत्येक प्रमुख भारतीय मण्डल द्वारा विरोधी जा चुके हैं। यदि विधेयकको संशोधन द्वारा भारतीय माँगें पूरी किये बगैर पास किया गया तो सत्याग्रहकी पुनरावृत्ति निश्चित। यदि सामान्य विधेयक भारतीयों द्वारा सुझाये गये संशोधनों सहित पास नहीं हो सकता तो ट्रान्सवाल प्रवासी कानून में ऐसे संशोधन आसानीसे किये जा सकते हैं, जिनसे १९०७ का एशियाई अधिनियम रद हो जाये और उसमें निहित प्रजातिगत भेद दूर हो जाये इसके अलावा एक ऐसा विवाह-विधेयक लाया जाये जिसके द्वारा भारतीय विवाहोंको सर्ल-निर्णयसे पूर्वकी तरह मान्यता प्राप्त हो और कानूनी करार दिया जा सके।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५७७३) की फोटो-नकलसे ।

१. इसके बाद सभामें एल० डब्ल्यू० रिच और एच० कैलेनबैक बोले ।

  1. २. ऐसा लगता है कि यह तार और लोर्ड ऍम्टहिलको भेजा गया तार (देखिए अगला शीर्षक), ये दोनों ही २७ अप्रैलकी फ्रीडडॉपैमें हुई आम सभाके बाद भेजे गये थे।